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Thursday, February 15, 2018

फ़ोन का पासवर्ड भुल जाये तो क्या करे

फ़ोन का पासवर्ड भुल जाये तो क्या करे

 अपने फोन का पासवर्ड भूल गए हैं तो उसे बहुत ही आसानी से हटा सकते हैं. आपको लगता है की आप अपना पासवर्ड भूल सकते है या कभी फ्यूचर में भूल जाये तो आप कैसे अपने फ़ोन के अनलॉक कर सकते है. बिना पासवर्ड के भी हम अपने एंड्राइड मोबाइल को अनलॉक कर सकते है .उसके लिए आपको कुछ सिंपल स्टेप्स करने की जरूरत है.

अगर आप फ़ोन का पासवर्ड भूल गए है तो इसके  लिए आपको सर्विस सेंटर जाने की जरूरत नहीं ये आप घर बैठ भी कर सकते है . और तीसरा तरीका हर समय काम नहीं करता क्योंकि इसके लिए इंटरनेट की जरूरत पड़ती है .

1st # Internet Se Unlock Phone

इस पोस्ट में आपको Android मोबाइल के बारे में बताया जाएगा कि कैसे आप Android में अपने फोन का पासवर्ड रीसेट कर सकते हैं जैसा कि हम सब जानते हैं एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल कंपनी द्वारा बनाया गया है तो अगर आपकी फोन पर लॉक लग जाता है और आप उसे भूल जाते हैं तो आप अपने Google के अकाउंट से भी उसे रीसेट कर सकते हैं इसके लिए आपको नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करना है.लेकिन इसके लिए आपके मोबाइल में इंटरनेट शुरू होना चाहिए और आपके मोबाइल में आपका Google अकाउंट लॉगिन होना चाहिए या यूं कहें कि आपकी Gmail ID लॉगिन होनी चाहिए तभी आप नीचे दिए गए तरीके को अपना सकते हैं .
  • सबसे पहले  Android Device Manager पर जाये
  • अब उस ईमेल ID से लाग इन करे जिस ईमेल ईद से आप अपने फ़ोन के गूगल प्ले स्टोर में लोगिन होते है .
  • अब आपके सामने 3 ऑप्शन आएंगे .
Phone Ka Password Bhul Jaye To Kya Kare
  • वंहा आपको लॉक के ऑप्शन पर क्लिक करना है.
  • अब नई पॉप विंडो आएगी वंहा आपके सामने 4 ब्लेंक बॉक्स होंगे शुरू के 2 में आपको न्यू पासवर्ड भरना है और बाकि 2 को खाली छोड़ दे और लॉक पर क्लिक करे.
  • अब आप अपना मोबाइल न्यू पासवर्ड के साथ अनलॉक कर सकते है .
ऊपर बताया गया तरीका आपके फोन गए लिए बहुत ही सुरक्षित है जिससे कि आपके फोन के डाटा को बिना नुकसान पहुंचाए आप अपने फोन का पासवर्ड हटा सकते हैं लेकिन अगर आपके लिए ऊपर वाला तरीका काम नहीं करता तो इसके लिए आपको नीचे दिया गया तरीका इस्तेमाल करना होगा .

2nd # Wipe Factory Or Factory Reset

यह तरीका थोड़ा सा मुश्किल है और इसमें आप अपने फोन का सारा डाटा खो देंगे इस तरीके का इस्तेमाल आपके फोन के डाटा को डिलीट करेगा और आपका फोन बिल्कुल एक नए मोबाइल की तरह शुरू हो जाएगा. तो अगर आप अपने मोबाइल का सारा डाटा डिलीट कर सकते हैं तो आप नीचे दिया गया तरीका अपनाएं और अपने फोन के पासवर्ड को हटाए .
  • सबसे पहले अपने एंड्राइड मोबाइल को स्विच ऑफ करदे.
  • अब हमें इसके रिकवरी मोड में जाना जंहा से हम इसे रिसेट करेंगे .
  • रिकवरी मोड हमारे फ़ोन को अपग्रेड करने के काम भी आता है
  • अब अपने मोबाइल में  “Power Key + Home + Volume Down Key” ये तीनो बटन एक साथ दबाने है .
  • अब आपके सामने कुछ आप्शन आएंगे उन ऑप्शन को आप वॉल्यूम की उप और डाउन से सेलेक्ट करेंगे .
  • अब वंहा आपको “Wipe Factory Ya Reset Factory” का ऑप्शन सेलेक्ट करके पावर Key दबाना है .और Yes कर देना है
  • आपका मोबाइल थोड़ी देर बाद आपने आप रिबूट हो जायेगा .
  • आपका मोबाइल बिलकुल नए मोबाइल की तरह शुरू होगा सारी  सेटिंग आपको दुबारा करनी पड़ेगी .
कुछ मोबाइल में आपको इसकी जगह रीसेट का भी ऑप्शन मिल सकता है जिससे कि आपका मोबाइल रीसेट होगा और आपको फिर से अपने फोन में सभी एप्लीकेशन गेम कांटेक्ट और अकाउंट लॉगिन करने होंगे.
Note :- इस से आपका मोबाइल का सारा डेटा डिलीट हो जायेगा , सिर्फ मेमोरी कार्ड का डाटा बचेगा.Reset करने से पहले आपका मोबाइल काम से काम 60 % चार्ज होना चाहिए.सभी मोबाइल में रिसेट फैक्ट्री का ऑप्शन अलग होता है , ये आपको देखना होगा की आपके मोबाइल में किस ऑप्शन से फ़ोन रिसेट होगा.

3rd # Remove Screen/PIN Password Without Losing Any Data

यदि आपके पास Google अकाउंट नहीं है और आप आपके फ़ोन का पासवर्ड भूल गये है और आप अपना डाटा भी सेफ रखना चाहते है तो आपको Android Data Recovery का उपयोग करना चाहिए  इस से आप कुछ मिनटों में पिन / पैटर्न / फिंगर प्रिंट का पासवर्ड निकाल सकते हैं आप इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकते है |
Step 1 :  सबसे पहले एक कंप्यूटर पर प्रोग्राम डाउनलोड और इंस्टॉल करें  उसके बाद उसे ओपन करे |
Step 2 :  सोफ्टवेयर ओपन करने के बाद आप अपने फ़ोन को USB केबल से कंप्यूटर से कनेक्ट करे.
Step 3 :अपने एंड्रॉइड फोन को कनेक्ट करने के बाद डाउनलोड मोड में लें जाये और उसके बाद डिस्प्ले पर दिए गये  Instructions को फॉलो करे .
Step 4;-  “Start” बटन पर क्लिक करे उसके बाद फ़ोन डाउनलोड मोड में चला जायेगा उसके बाद आपका डाटा रिकवरी होना स्टार्ट हो जायेगा |
और इस प्रकार आप इस सॉफ्टवेयर की मदद से अपने फोन के पासवर्ड को हटा सकते हैं. यह सॉफ्टवेयर फ्री में सिर्फ आपको ट्रायल वर्जन ही मिलेगा इसका पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए आपको कुछ पैसे देने पड़ेंगे. जो कि आपको इसकी वेबसाइट पर बताया जाएगा अगर आप यह सॉफ्टवेयर पैसे देकर नहीं लेना चाहते .तो आपको नंबर दो पर बताया गया तरीका अपनाना होगा और अपने फोन को रिसेट करना होगा तभी आप अपने मोबाइल का पासवर्ड हटा सकते हैं .


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माइक्रोसॉफ्ट विंडो की इतिहास History Of Microsoft Window In Hindi

माइक्रोसॉफ्ट विंडो की इतिहास History Of Microsoft Window In Hindi

तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि किस तरह से माइक्रोसॉफ्ट विंडो सबसे पहले दुनिया के सामने लाई गई.

1. MS Dos Windows

सबसे पहले विंडो की शुरुआत हुई थी 1981 में उस समय इसका नाम MS Dos Windows था जिस की फुल फॉर्म होती थी माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम और यह IBM के पर्सनल कंप्यूटर के लिए बनाया गया था. इसमें यूजर इंटरफेस के नाम पर कुछ भी नहीं था. इसमें आप सिर्फ कमांड टाइप करके इस्तेमाल कर सकते थे. उस समय कंप्यूटर की एक सिर्फ ब्लैक स्क्रीन होती थी.और उस पर आप कमांड टाइप करके लिख सकते थे. और जो आप वर्ड लिखते थे .वह हमें सफेद कलर का दिखाई देता था. और इसमें जो एप्लीकेशन होती थी. वह Dos एप्लीकेशन होती थी. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम इस तरह से ही काम करता है. इसमें आय कैन आदि चीजें नहीं होती थी. इसमें कुछ भी नहीं होता था. बस सिर्फ एक ब्लैक कलर की स्क्रीन और उसके ऊपर जो आप सफेद कलर के वर्ड लिखते थे. वह लेकिन यहां से तो सिर्फ पर्सनल कंप्यूटर की शुरुआत हुई थी. और यहां से शुरुआत होने के बाद यह दुनिया के लगभग घर घर में पहुंच गया.

2.Windows 1.0

उसके बाद 1985 में विंडो ने लांच कर दिया अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 1.0 इस ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको सिर्फ टाइप ही नहीं करना होता था. इसमें आप पॉइंट करके विंडो जो बॉक्स का इंटरफ़ेस होता है. जिसको आज के समय में हम देखते हैं. इसमें वह Introduce कराया गया था. इसमें हम लिखने के साथ-साथ सिलेक्ट भी कर सकते थे. और हम इसके ऊपर क्लिक भी कर सकते हैं. यह इसका एक बहुत ही बढ़िया Feature था.

3.Window 2.0

उसके बाद फिर विंडो ने 1987 में अपना एक और नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और यह Windows 2.0 था. इस ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे अच्छी बात यह थी. कि इसमें इसमें हमें कीबोर्ड के शॉर्टकट मिलने लगे थे. इसमें एक icon भी मिलने लगे थे. इसमें हमें एक्स्ट्रा ग्राफिक का सपोर्ट भी मिलने लगा. जो हमें देखने की चीजें होती थी उनको देखने में काफी बदलाव आए. इंटेल के जो 286 प्रोसेस आए थे. उनके लिए यह ऑपरेटिंग सिस्टम खास तौर पर तैयार किया गया था. और यह उसके ऊपर बहुत अच्छी तरह से चलता था. MS Dos का सपोर्ट तो उसमें इस समय भी था. लेकिन यह पुराना ऑपरेटिंग सिस्टम था. लेकिन इस को बदलकर काफी एडवांस कर दिया गया. और यह विंडो बहुत ही पॉपुलर रही.

4. Windows 3.0

1987 के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार फिर से बदला और अब आ चुकी थी. विंडो 3.0 और 3.1 यह  1990 और 1994 के बीच में आई थी. और यह उस समय में बहुत ही पॉपुलर ऑपरेटिंग सिस्टम रहा. इस ऑपरेटिंग सिस्टम के आते ही बिल्कुल सब कुछ एकदम से बदल गया. इसमें 16 Bit कलर का सपोर्ट मिलने लगा. और इसमें एडवांस ग्राफिक का सपोर्ट भी मिलने लगा.और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को इंटेल के 386 के प्रोसेसर के लिए बनाया गया था. इसमें हम बहुत ज्यादा चीजें इस्तेमाल कर सकते थे. जैसे Icon एडवांस ग्राफिक माउस और कीबोर्ड का सपोर्ट भी अच्छा मिलने लगा था. और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को बहुत ही अच्छे से ऑप्टिमाइज़ किया गया. इसमें एकदम से नया बदलाव देखने को मिला और इसमें फाइल मैनेजर और प्रोग्राम मैनेजर जैसी चीजें दी गई. और यह ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम जहां से कंप्यूटर गेम की शुरुआत हुई. उसके साथ ताश का गेम आया. और यह विंडो वह बहुत ही पॉपुलर विंडो रही.

5. Windows NT

1993 और 1996 के बीच में एक बार फिर से माइक्रोसॉफ्ट ने अपना नया विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया जिसका नाम था. Windows NT यानी Window New Technology यह भी एक 32 Bit का ऑपरेटिंग सिस्टम था. और यह वर्क स्टेशन और सर्वर के लिए बनाया गया था. सबसे पहली बार यदि किसी कंप्यूटर में ज्यादा अच्छी तरह से Multitasking दी गई थी. तो उसकी शुरुआत Windows NT से हुई थी. और यह 1993 से 1996 के बीच में बहुत ज्यादा पॉपुलर हुई थी. और सर्वर और वर्क स्टेशन के तौर पर इसको काफी इस्तेमाल किया जाता था.

6. Windows 95

और उसके बाद 1995 एक बार फिर इस ऑपरेटिंग सिस्टम को बदला गया और फिर आई विंडो 95 इसकी जो मुख्य हाईलाइट थी. वह इसके जो सोफ्टवेयर थे वो 32 Bit Architecture के ऊपर चलने लगे. यानि की इस ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर तैयार किए जाने लगे. और वह सॉफ्टवेयर इसके ऊपर बहुत ही तेजी से काम करने लगे. इसमें Plugin Play का सपोर्ट भी मिलने लगा. यानी कि प्रिंटर आदि जैसी चीजें जोड़ सकते थे. यह अपने आप ही पता लगा लेता था कि इसमें कौन सा हार्ड ड्राइव यानी कौन सा हार्डवेयर लगाया गया है. यह ऑपरेटिंग सिस्टम काफी एडवांस था. जैसे कि हमने आपको बताया यह 32 Bit Architecture मतलब 640 K की जो मेमोरी होती थी. वह इस समय बंद हो चुकी थी. इसमें किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं था और इसके साथ ही जो 8 वर्ड का फाइल नाम होता था. वह भी प्रतिबंध नहीं था इसमें आप कितन भी लम्बा फाइल का नाम रख सकते हैं. और जो मेन मेमोरी होती थी 640 K की वह भी बदल कर अब ज्यादा हो चुकी थी. जो ज्यादा हैवी कंप्यूटर की शुरुआत थी. वह आप यहां से कह सकते हैं. कि विंडो 95 से शुरू हुई थी.

7.Windows 98

उसके बाद 1998 में आई विंडो 98 इसमें मुख्य रूप से जोर दिया गया था. USB ,DVD प्लेयर पर यह सभी चीजें इस विंडो में दी गई थी. और यह पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था. जिसमें किसी भी तरह का कोई फर्क नहीं था. कि आप कोई लोकल फाइल स्टोर कर रहे हैं. या किसी इंटरनेट के ऑनलाइन सर्वर पर डाउनलोड कर रहे हैं. इन दोनों में कोई भी फर्क नहीं था. दोनों तरीकों से आप एक्सेस कर सकते थे. उसमें कोई फर्क नहीं होता था. कि वह अपने ऑनलाइन सेव किया है. या पहले से ही आपकी मेमोरी में सेव है. इसकी एक और खास बात थी कि यह इसमें एक्टिव डेक्सटॉप था.और सबसे पहली बार अगर किसी ऑपरेटिंग सिस्टम में इंटरनेट एक्सप्लोरर दिया गया था. तो वो इसी में दिया गया था.  इसमें इंटरनेट एक्सप्लोरर पहली बार देखा गया था.

8. Windows ME

इसको सन 2000 में लांच किया गया था. वैसे तो उसमें कोई खास बदलाव नहीं किए गए थे. क्योंकि यह Windows 98 का ही अपडेट वर्जन था. लेकिन इसमें Boot और Dos के ऑप्शन को हटा लिए लिया गया था. और छोटे मोटे और अपडेट करके इसको सन 2000 में नए नाम से लॉन्च किया गया.

9.Windows 2000

माइक्रोसॉफ्ट ने सन 2000 में अपना एक बार फिर से ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और उसने विंडो 2000 लांच की जिसको विंडो W2K भी कहा जाता था. इस ऑपरेटिंग सिस्टम में मुख्य रूप से Network Resources पर ज्यादा ध्यान दिया गया.इससे आप अपने कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ सकते थे. अपने कंप्यूटर को प्रिंटर से जोड़ सकते थे. वह बहुत अच्छी थी और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को इस तरह से बनाया गया था. कि आप इसको सर्वर की तरह भी इस्तेमाल कर सकते थे. इसमें प्रिंटर का बहुत ज्यादा अच्छा सपोर्ट मिला था प्रिंटर को सबसे ज्यादा अच्छी तरह से इस्तेमाल विंडो 2000 में ही किया जाने लगा था. और इसके साथ ही आप इंटरनेट से इसको आसानी से कनेक्ट कर सकते थे. पहले वाली विंडो में आप इंटरनेट को आसानी से कनेक्ट नहीं कर पाते थे. और यह पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था जो लैपटॉप पर चल सकता था. क्योंकि उस जमाने में लैपटॉप भी नई चीज थी. यानी यह एक चमत्कार ही था क्योंकि उस समय में कंप्यूटर भी बहुत कम हुआ करते थे. और उस समय में अगर कोई आदमी चलता फिरता कंप्यूटर अपने पास रखता है. तो वह तो किसी चमत्कार से कम नहीं हुआ करता था. इसमें लैपटॉप का भी अच्छा सपोर्ट मिलने लगा. इसमें एक और भी नई चीज मिली थी. इसमें जो हाई ट्रैफिक डाटा Central होते थे. वहां पर भी इस ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. क्योंकि जैसा की हमने आपको बताया कि इस ऑपरेटिंग सिस्टम में  Network Resources अच्छे से कर सकते थे.इसीलिए इसको जहां पर बहुत ज्यादा हाई ट्रैफिक डाटा Central होता था. वहां पर इसका इस्तेमाल किया जाने लगा.

10.Windows XP

उसके बाद अक्टूबर 2001 में नये ऑपरेटिंग सिस्टम को लांच किया. उन्होंने विंडो XP को लांच किया विंडो XP के आते ही कंप्यूटर चलाना बहुत ही आसान हो गया. और यह कंप्यूटर की दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव साबित हुआ. जोकि  विंडो 2000 के कर्नल पर बना था. विंडो का यह सबसे ज्यादा पॉपुलर और सबसे ज्यादा बिकने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो XP ही था. और यह आज तक सबसे ज्यादा सफल भी यही ऑपरेटिंग सिस्टम रहा. और अभी तक इसकी टक्कर का ऐसा कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं आया है. लेकिन इसका जो  सपोर्टिंग और जो सिक्योरिटी के चीजें थी. वह 2014 नहीं खत्म हो गई. लेकिन आज भी बहुत सी जगह पर जैसे ATM मशीन और कैश ट्रांजेक्शन होते हैं. वहां पर इस ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन कई लोगों ने इसको इस्तेमाल करने से मना कर दिया है. उन्होंने कहा है. कि यह Outdated version हो चुका है. इसका इस्तेमाल आप है ना करें इसके वायरस को नष्ट करने वाले सॉफ्टवेयर अब नहीं बनाए जा रहे हैं.इस ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे ज्यादा पॉपुलर जो रहा. यह इसका वायरलेस सिस्टम रहा सबसे पहले इसमें वायरलेस सिस्टम उपलब्ध कराया गया. 
इस ऑपरेटिंग सिस्टम में वायरलेस टेक्नोलॉजी को दिया गया. क्योंकि अब यह समय आ चुका था जब वायरलेस ब्लूटूथ, वाईफाई जैसी चीजें आ चुकी थी. तो उसको इस्तेमाल करने के लिए सॉफ्टवेयर भी होना जरुरी थे. लैपटॉप में जो लोग विंडो XP का इस्तेमाल किया करते थे. वे लोग वाईफाई ब्लूटूथ या दूसरी वायरलेस टेक्नोलॉजी जो होती थी. उसका इस्तेमाल इसमें कर सकते थे. इस विंडो का जो बैकग्राउंड होता था. जैसे इसके पीछे घास और वह ऊपर नीला आसमान वह बहुत ही पॉपुलर हुआ था.और अब इसमें लोग गेम भी खेलने लगे हमें नए नए गेम इस्तेमाल की जाने लगे क्योंकि अब इसमें किसी भी तरह की कोई लिमिट नहीं थी. इसके होम और प्रोफेशनल दो वर्जन निकाले गए थे. इसमें मीडिया एडिट करने लगे. जो मीडिया को एडिट करने का ऑप्शन आता था वह आप्शन इसमें लगाए गए थे.

10.Windows Vista

2006 में एक बार फिर से माइक्रोसॉफ्ट ने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और उसने अब Windows Vista को लांच किया Windows Vista विंडो XP के बाद में आई थी.Windows Vista विंडो XP से बहुत ज्यादा एडवांस थी. क्योंकि आप शायद जानते होंगे कि विंडो XP जो थी. वह Boot बहुत  समय लगाती थी. लेकिन Windows Vista में Booting टाइप में बदलाव किये गये. और इस ऑपरेटिंग सिस्टम में और भी बहुत सारे बदलाव किए गए. यह लाइट वेट ऑपरेटिंग सिस्टम था. जल्दी Boot हो जाता था.और कुछ प्रोग्राम तो इसमें बहुत ज्यादा स्पीड चलते थे. और इसको Manage करना भी बहुत ही आसान था. और इसमें Error नहीं आते थे. क्योंकि विंडो XP अच्छा सिस्टम तो है. लेकिन इसको इस्तेमाल करना और इसको Error फ्री रखना बहुत मुश्किल होता था. आपको याद भी होगा क्योंकि विंडो XP में सबसे ज्यादा वायरस आते थे. इसलिए उन को मैनेज करना बहुत मुश्किल होता था. हालांकि फीचर्स के हिसाब से विंडो XP आज भी बहुत पॉपुलर मानी जाती है. लेकिन सिर्फ Error के कारण उसको अच्छे से मैनेज नहीं कर पाते थे. उस चीज को देखते हुए Windows Vista लांच किया गया. और यह कम हार्डवेयर का इस्तेमाल करता था. और कुछ छोटे-मोटे बदलाव करके इसको लांच किया गया. और इसका सबसे बड़ा फायदा यह है. कि यह विंडो XP से कम बैटरी इस्तेमाल करता था.

11.Windows 7

उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने सन 2009 में एक बार फिर से अपना बहुत ही बढ़िया और पॉपुलर ऑपरेटिंग Windows 7 को लांच किया यह बहुत ही ज्यादा एडवांस और दिखने में बिल्कुल अलग थी.और इसमें वर्चुअल हार्ड डिस्क का सपोर्ट भी इसमें देखने को मिला इसमें इंटरनेट एक्सप्लोरर 8 दिया गया. और मीडिया सेंटर का भी काफी अच्छा सपोर्ट मिला. यह दुनिया का सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था. जिसमें टच इंटरफ़ेस को दिया गया. और इस दौर में टच कंप्यूटर या लैपटॉप आने लगे थे. अगर हम बात करें इस ऑपरेटिंग सिस्टम के पूरे सफर की तो विंडो XP के बाद यह दूसरा ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम था. जिसने दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव ला दिया. और आज के समय में भी विंडो 10 से ज्यादा लोग Windows 7 का इस्तेमाल करते हैं. यहां तक तो Windows 7 का सफर बिल्कुल बढ़िया रहा. लेकिन आगे कुछ ऐसा होने वाला था जिसके बारे में किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा. 

12. Windows 8

यह माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम का लगभग सबसे खराब समय रहा जब 2012 में विंडो ने माइक्रोसॉफ्ट ने अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 8 लांच किया. और जिसके बाद Microsoft को बहुत पछताना पड़ा. क्योंकि यह बिल्कुल भी विंडो नहीं लगती थी और यह बिल्कुल नई डिजाइन की विंडो थी. जब उसको लोड करते थे. तो टाइल जैसे डिब्बे आ जाते थे. मेट्रो की नई थीम विंडो ने सोचा कि इसको हम इसमें लगा देते हैं. क्योंकि यह टच कंप्यूटर का दौर था. जब हम किसी भी चीज को टच करके चलाते थे. और लिए माइक्रोसॉफ्ट ने सोचा कि इसमें टाइल के जैसे मेट्रो थीम लगा दी जाए. लाइव टाइल का अपडेट उसमें देखने को मिलता. ARM और X86 यानि 32 बिट और ARM प्रोसेसर इनके साथ बहुत अच्छे से चलती थी. यह बिल्कुल ही लाइट वेट ऑपरेटिंग सिस्टम था. यह बहुत ज्यादा विंडो सेवन से मिलता जुलता था. लेकिन इसका लुक बिल्कुल अलग था. लोगों को यह लुक पसंद नहीं आया. और यह विंडो बहुत ही असफल रही क्योंकि यह सिर्फ इसके लुक की वजह से रही वह पॉपुलर नहीं हो पाई. अगर उसका डिजाइन बढ़िया होता तो वह शायद बहुत अच्छे से इस्तेमाल की जा सकती थी.

13. Windows 10

उसके बाद फिर 2015 में उन्होंने अपना नया और सबसे एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 10 को लांच किया जो आज के समय में भी हमारे लगभग सभी की कंप्यूटर में चलती है. यह बहुत ही एडवांस विंडो थी. और इसका लुक भी चेंज कर दिया गया था. और माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी पिछली गलती को सुधार दिया. और वापस पिछली चीजों को इसमें लगा दिया गया वैसे ही स्टार्ट बटन को भी इसमें लगाया गया. लेकिन एक गलती फिर भी उन्होंने जरूर की उन्होंने टाइल फिर भी उसके अंदर जरूर दी. और इस ऑपरेटिंग सिस्टम में सबसे ज्यादा स्टार्ट बटन और टाइल्स का मेल देखने को मिला.और इसमें माइक्रोसॉफ्ट के द्वारा इंटरनेट एक्सप्लोरर को सुधारने की भी कोशिश की गई.
जैसे की आप सभी जानते हैं. कि इंटरनेट एक्सप्लोरर बहुत ही स्लो चलता है. और इस लिए बहुत लोग परेशान भी हैं. लेकिन फिर माइक्रोसॉफ्ट ने इसको सुधारा और उस ब्राउज़र का नाम बदलकर नया ब्राउज़र तैयार किया और उसका नाम रखा Microsoft Edge और इस ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ इसको दिया गया और यह बहुत ही फास्ट ब्राउज़र है. और यदि आप लैपटॉप का  इस्तेमाल करते हैं तो Google Chrome ज्यादा पावर इस्तेमाल करता है. और Microsoft Edge बहुत ही कम पावर लेता है. और अब विंडो ने कुछ ऐसी शर्तें भी लागू की यदि आप की Copy Pirated है. या आपने Crack की है. या उसमें Key लगाई है. क्या आपने कुछ भी करके उसको Crack किया है. तो भी आप को विंडो 10 के लिए अपडेट जरूर मिलेंगे. तो आप बिना किसी दिक्कत के आराम से इसको अपडेट कर सकते हैं. इसके बाद लोगों को अपडेट मिलने शुरू हो गए. कि चाहे कैसी भी Copy Pirated हो और वह भी अपडेट होने लगी. क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट चाहता था. कि लोग किसी भी तरह से विंडो 8 को बदल कर विंडो 10 इस्तेमाल करें. और जो माइक्रोसॉफ्ट की गलती थी. जो विंडो 8 के साथ की गई थी वह ठीक हो जाए.
तो इस तरह से माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो का इतिहास रहा और आज के समय में हमारे सामने माइक्रोसॉफ्ट ने अपना सबसे बढ़िया और एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो 10 को लेकर आए.
तो अब आपको पता चल गया होगा की विंडो का इतिहास कहां से शुरू हुआ और कैसे यह हम तक पहुंची और किस-किस तरह कि इसमें बदलाव किए गए तो आज हम आपको इस पोस्ट में माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो के इतिहास के बारे में बताए और उसके बारे में सारी विस्तार से जानकारी दी. यदि हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारी आपको पसंद आए तो शेयर करना ना भूले और यदि आपको इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछते हैं.

Thursday, February 01, 2018

कंप्यूटर बूटिंग क्या होती है - What is a computer booting

कंप्यूटर बूटिंग क्या होती है - What is a computer booting

जब आप कंप्‍यूटर स्‍टार्ट करते हैं तो सीपीयू (CPU) और बायोस (BIOS) मिलकर कंप्‍यूटर को स्‍कैन करते हैं, जिसमें कंप्‍यूटर यह पता करता है कि मदरबोर्ड से कौन-कौन से उपकरण जुडें है और ठीक प्रकार से काम कर रहे हैं या नहीं, इसमें रैम, डिस्‍पले, हार्डडिस्‍क आदि की जॉच होती है, यह प्रक्रिया पोस्‍ट (Post) कहलाती है।

जब कंप्‍यूटर पोस्‍ट (Post) की प्रकिया कंम्‍पलीट कर लेता है तो बायोस (BIOS) बूूटिंग डिवाइस को सर्च करता हैै, वह हर बूट डिवाइस में बूटिंग फाइल को सर्च करता है, सबसे पहले First Boot Device, फिर Second Boot Device इसके बाद Third Boot Device और अगर इसमें भी बूटिंग फाइल न मिले तो Boot Other Device, बायोस (BIOS) को जिसमें भी पहले बूटिंग फाइल (Booting File) मिल जाती है। वह उसी से कंप्‍यूटर को बूट करा देता है और कंप्यूटर में विंडो की लोडिंग शुरू हो जाती है।

जो लोग सीडी या डीवीडी से विंडोज इंस्‍टॉल करते हैं वह First Boot Device के तौर पर CDROM को सलेक्‍ट करते हैं, लेकिन हर किसी सीडी से बायोस (BIOS) कंप्‍यूटर को बूट नहीं करा सकता है इसके लिये सीडी या डीवीडी का बूटेबल (Bootable CD or DVD) होना जरूरी है, बूटेबल (Bootable) होने का मतलब है कि उसमें बूटिंग फाइल (Booting File) होना चाहिये जिससे बायोस (BIOS) उसे पढ सके। 

अगर आपके कंप्‍यूटर में कोई भी (Bootable Media) नहीं है तो आपको Insert Boot Media Disk का Error दिखाई देगा, Error आपको तब भी दिखाई देे सकता है जब आपको कंप्‍यूटर हार्डडिस्‍क से बूट न ले रहा हो। 
                           Type of Booting - बूटिंग के प्रकार

कंप्यूटर में बूटिंग दो प्रकार की होती है कोल्ड बूटिंग (Cold booting) और वार्म बूटिंग (Warm Booting) - 

What is Cold booting कोल्ड बूटिंग क्‍या होती है - 
जब आप सीपीयू के कंप्‍यूटर (computer) का पावर बटन (Power button) या स्‍टार्ट बटन (Start button) को प्रेस कर कंप्‍यूटर को स्‍टार्ट करते हैं तो इसे कोल्ड बूटिंग (Cold booting) कहा जाता है। 

What is  Warm Booting वार्म बूटिंग क्‍या होती है - 

कंप्‍यूटर के हैंग होने की स्थिति में की-बोर्ड के द्वारा Alt+Ctrl+Del दबाकर या फिर रिस्टार्ट बटन का उपयोग कंप्‍यूटर को दोबारा बूट कराने की प्रकिया वार्म बूटिंग कहलाती (Warm Booting) या रीबूट (reboot) भी कहते हैं