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Thursday, February 15, 2018

लैपटॉप से फ़ोन की वीडियो ऑडियो बिना डेटा केबल कैसे प्ले करे

लैपटॉप से फ़ोन की वीडियो ऑडियो बिना डेटा केबल कैसे प्ले करे
अब आप अपने एंड्राइड फ़ोन की वीडियो ऑडियो फोटो वगेरा अपने लैपटॉप में देख सकते है वो भी बिना डेटा केबल कनेक्ट किये , इसके लिए आपको कुछ Simple से स्टेप्स करने होंगे जो मैं बताऊंगा .लेकिन सबसे से पहले आपको अपना लैपटॉप और फ़ोन दोनों एक ही नेटवर्क पर कनेक्ट करना या Wi Fi  पर कनेक्ट करना है.तो चलिए देखिये आपको क्या क्या करना है .
सबसे पहले फ़ोन और लैपटॉप को एक ही Wi Fi  से कनेक्ट करे ,इंटरनेट की जरूरत नहीं है सिर्फ Wifi दोनों का शामे होना चाहिए
अब अपने लैपटॉप का विंडो मीडिया प्लेयर खोले
Laptop Se Phone Ki Video Audio Bina Data Cable Kaise Play Kare 1
  1. अब ऊपर Stream  के ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो आपको कुछ ऑप्शन दिखाई देंगे
  2. उसमे “Allow Remote Control Of My Player”के ऑप्शन को ऑन करे
  3. और सबसे नीचे वाले ऑप्शन को ऑन करें और ओके कर दे मीडिया प्लेयर ऑन खुला ही छोड़ दे
अब बारी है फ़ोन की अब फ़ोन में आपको क्या क्या करना है वो देख लिए
  • सबसे पहले  “BubbleUPnP For DLNA” एप्प को डाउनलोड और इनस्टॉल करे
  • कुछ आप्शन आएंगे उन्हें स्किप करके होम पर आ आ जाये
Laptop Se Phone Ki Video Audio Bina Data Cable Kaise Play Kare 2
  • अब होम पर आपको Playlist का ऑप्शन है उस पर क्लिक करे
  • फिर लोकल Render पर क्लिक करे यंहा आपको अपना लैपटॉप का नाम दिखेगा उस पर क्लिक करे  और अब होम पेज पर जो लाइब्रेरी है उस पर क्लिक करे
Laptop Se Phone Ki Video Audio Bina Data Cable Kaise Play Kare 3
  • लाइब्रेरी पर क्लिक करके फोल्डर में देखे जिस में आपके वीडियो या ऑडियो है
  • अब वीडियो पर क्लिक करे क्लिक करते ही आ देखोगे की वीडियो डायरेक्ट लैपटॉप में प्ले हो गई है ,लेकिन आपको मोबाइल की स्क्रीन पर भी नीचे दिखेगा कोण सी विडियो चल रही है उस पर क्लिक करोगे तो आपको वीडियो प्लेयर के कंट्रोल ऑप्शन दिखेंगे
  • कंट्रोल ऑप्शन से आप वीडियो को रोक सकते है प्ले कर सकते है ,आगे निकल सकते है .
तो इसे आप अपने लैपटॉप में फ़ोन की कोई भी ऑडियो वीडियो फोटो को देख सकते है ,वो भी बिना डेटा केबल के ,जानकारी अच्छी लगेतो शेयर करना न भूलेगा,धन्यवाद्.

कंप्यूटर की फाइल को फ़ोन में बिना डेटा केबल के कैसे देखे

कंप्यूटर की फाइल को फ़ोन में बिना डेटा केबल के कैसे देखे

कंप्यूटर की फाइल को फ़ोन में बिना डेटा केबल के कैसे देखे
अगर आप भी चाहते है की आपके लैपटॉप या कंप्यूटर की सारी फाइल आप फ़ोन में देख सके वो भी बिना डेटा केबल के कनेक्ट किये कोई भी भी विडियो  Movie Mp3 Song कुछ जो आपके लैपटॉप में है वो आप अपने लैपटॉप में देख सकते है , सिर्फ कुछ Simple से स्टेप्स करने की जरूर है .
लेकिन इसके लिए कुछ Condition है , वो ये की आपका कंप्यूटर और फ़ोन दोनों एक ही नेटवर्क से जुड़े होने चाहिए मतलब दोनों एक ही Wi-FI से कनेक्टेड होने चाहिए .
  • सबसे से पहले आप अपने फ़ोन में गूगल स्टोर से “ES File Explorer File Manager
    एप्प को इनस्टॉल कीजिये
  • अब अपने लैपटॉप में डेस्कटॉप पर फोल्डर बनाईये और उसमे फ़ाइल डालिये जो फाइल फ़ोन में देखनी है वो फाइल डाले ,डेस्कटॉप पर जो फोल्डर है उसे फ़ोन से आसानी से ढूंढ सकते है
  • अब लैपटॉप में  “Window Key + R” दबाए  और  CMD टाइप करके एंटर करे
  • आपके लैपटॉप का Commend Prompt शुरू हो जायेगा
Computer Ki File Ko Phone Me Bina Data Cable Ke Kaise Dekhe 1
  • अब “C:\Users\Apke Computer Ka Naame Hoga > यंहा Ipconfig लिखे कर एंटर करना है जैसे फोटो में दिखाया गया है . लेकिन आप उसके के बाद में जो नाम है उसे याद रखे ये आपके लैपटॉप का Username है
  • Ipcofig की Comend Run करते ही आपको आपके कंप्यूटर का IP Adress पता चल जायेगा ,इसे भी याद रखे
  • अब आप अपने फ़ोन से एप्प को ओपन करे
Computer Ki File Ko Phone Me Bina Data Cable Ke Kaise Dekhe 2
  • अब Homepage पर क्लिक करे ,आपको बहुत सारे Menu दिखाई देंगे
  • वंहा आपको “Network” पर क्लिक करना है
  • फिर LAN पर क्लिक करना है .
Computer Ki File Ko Phone Me Bina Data Cable Ke Kaise Dekhe 3
  • अब LAN की  Tab में आपको ऊपर स्कैन का ऑप्शन दिखेगा उस पर क्लिक करे , जैसे ही आपके कंप्यूटर का नाम आये या आपके कंप्यूटर का IP Addressआये  (Jaise :- 192:168.1.3) TO Cancel पर क्लिक करे ,और उस कंप्यूटर के नाम पर क्लिक करे
  • जैसे ही कंप्यूटर के नाम पर क्लिक करोगे तो आपसे Username और पासवर्ड मांगेगा ,
  • अब अपने कंप्यूटर का Username और पासवर्ड भरें जो आपका पासवर्ड कंप्यूटर पर लगा रखा , अगर आपने कंप्यूटर पर पासवर्ड नही लगा रखा तो पहले कंट्रोल पैनल में जाकर Users सेटिंग में जाएं और वंहा पासवर्ड लगाये और अब विंडो को Sign Out करे फिर Sign करे अब ये पासवर्ड मांगेगा तो जो पासवर्ड लगाया है वो भरे , और अपने फ़ोन की अप्प में भी वो पासवर्ड भरें.
  • अब आपको User का फोल्डर दिखेगा उस पर क्लिक करे , फिर आपका Username दिखेगा उस पर क्लिक करे .
  • अब आपको डेस्कटॉप का फोल्डर दिखेगा उस पर क्लिक करे अब जो फोल्डर आपने बनाया था उसे ओपन करे और अपनी फाइल को देखे , इसे आप कोई भी फाइल देखे सकते है 

Barcode क्या है इसका आविष्कार किसने किया

Barcode क्या है इसका आविष्कार किसने किया


             Barcode क्या है इसका आविष्कार किसने किया
कई बार जब हम समान लेते हैं तो हमारे सामने किसी भी तरह के पैकेट के ऊपर या किसी और अन्य समान के ऊपर हमें काली काली पतली पतली लाइन दिखाई देती है और उन लाइनों के नीचे गणित के अंकों में कुछ लिखे होते हैं हालाँकि वे गणित के अंक लाइन के हिसाब से तो नहीं होते हैं लेकिन उनके नीचे जरूर लिखे हुए मिलते हैं और कई बार हम उनके बारे में गहराई से सोचने लगते हैं कि आखिर यह चीज है क्या लेकिन हमें पता नहीं चलता की ये चीज क्या होती है और फिर भी हम उसे जानने की कोशिश जरूर करते हैं लेकिन शायद आप यह बात कभी जान भी नहीं पाए होंगे कि यह चीज क्या होती है और यह लगभग सभी समान के ऊपर बनी होती है.
तो आज हम आपको इस पोस्ट के अंदर उन्हीं काली लाइनों के बारे में बताएंगे कि आखिर भी काली लाइनें क्या होती है और उनका क्या काम होता है हम आपको बता दें कि उन काली लाइनों को Barcode  कहा जाता है और वह काली लाइने कोई सीधी या सिंपल लाइने नहीं होती क्योंकि वह एक कोड होता है जिसे हम सिर्फ काली लाइन हीं समझते हैं लेकिन वे मशीनों द्वारा समान के ऊपर लगाया गया कोड होता है और उससे सामान की क्वांटिटी का भी पता चलता है तो Barcode  क्या है Barcode  का क्या काम है और Barcode  का आविष्कार किस तरह किया गया इस तरह की जानकारी आज हम आपको इस पोस्ट में नीचे बता रहे हैं यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही आवश्यक है क्योंकि शायद आप इस तरह की जानकारी कभी ना जान पाए हो और ना ही आप इस तरह की जानकारी कभी सुनने को मिली होगी तो आप नीचे दी गई हमारी Barcode  के अविष्कार के बारे में जानकारी ध्यान से पढ़िए.

Barcode क्या है

अगर हम सीधी भाषा में आपको बताएं Barcode किसे कहते हैं तो Barcode मशीनों के द्वारा समान के ऊपर लगाया जाता जो कि गणित के कुछ अंकों और उस काली पतली लाइनों के अंदर छुपा होता है .और उन काली लाइनों और नंबर के रूप में ही वह कोड होता है और यह सामान के पीछे की तरफ लिखा हुआ या छपा हुआ होता है. और यह किसी भी बिजनेस के लिए बहुत ही ज्यादा मददगार साबित होता है क्योंकि इससे किसी भी तरह की समान में दिक्कत नहीं होती है बड़ी-बड़ी कंपनियों में किसी भी तरह के प्रोडक्ट को ट्रैक करने के लिए इस कोड का इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि इससे कंपनी के अंदर जो माल बन रहा है. उसके रेट और जो कंपनी में Stocks Level है. उसके बारे में बहुत ही आसानी से पता चल जाता है और इससे कंपनी को बहुत फायदा होता है. इसलिए यह कोड कंपनियां अपने सामान के ऊपर लगती है.और इस कोड का इस्तेमाल करके कंपनी अपनी उत्पादकता और दक्षता को बढ़ा सकती है.
और ये काली लाइन बस और कुछ नहीं होती सिर्फ यह एक कोड ही होता है जो कि समान के ऊपर लगा होता है और इस कोड को मशीनों द्वारा लगाया जाता है और कंपनी अपने कोड स्कैनर द्वारा देखकर अपने प्रोडक्ट को पहचान लेती है और उसके अंदर किसी तरह की गलती होने की भी चांस कम होते हैं वह जो कोड के अंदर डाटा होता है उसे कंप्यूटर में भी आसानी से डाला जा सकता है.

Barcode का आविष्कार किसने किया

बारकोड के आविष्कार से पहले 1890 में पंच कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था और पंचकार्ड और पंचकार्ड से प्रोडक्ट का ट्रैक रख पाना बहुत मुश्किल था 1948 में एक सुपर मार्के Exactive Drexel University में आकर College Dean से बात रहे थे की अगर प्रोडक्ट का कोड सिस्टम होता तो ट्रैक करने में बहुत आसानी होती. और इन दोनों को बात करते हुए Joseph Woodland सुन लिए और उन्होंने अपने दोस्त Bernard Silver को कहा कि हमें इस चीज का समाधान ढूंढना चाहिए.
और इन दोनों ने मिलकर Ultraviolet Inc. का इस्तेमाल करके कोड बनाना चाहा लेकिन यह बहुत ज्यादा महंगा था और बहुत जल्द ही मिट जाता और Joseph Woodland ने सोचा कि यह आविष्कार आगे जाकर बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है इसलिए Drexel University के अपनी जॉब को छोड़ कर उन्होंने Barcode Concept के ऊपर काम करना शुरु कर दिया Joseph Woodland  Morse Code का Concept ले कर Barcode को बनाना शुरू किया. Morse Code में डॉट और डैश का इस्तेमाल किया जाता है और एक दिन Joseph Woodland  के समुन्द्र किनारे पर बैठे हुए थे.और उन्होंने अपने उंगलियों से कुछ लकीरें बना दी और उसी समय उनके दिमाग में यह तरीका आया कि Morse Code में से डॉट और डैश को हटाकर पतली और मोटी लाइन्स का इस्तेमाल करके कोड बनाया जा सकता है Joseph Woodlandऔर Bernard Silver ने मिलकर 1949 में Classifying Apparatus And Method के नाम से पेटेंट दर्ज करवाया इस पेशेंट को 1952 इशू किया गया जो कि Shirking Shape में Bulls Eye जैसा था.
1951 में Joseph Woodland  IBM कंपनी को बारकोड स्कैन करने वाली टेक्नोलॉजी डेवलप करने को कहा लेकिन उस समय टेक्नोलॉजी नहीं थी इसलिए IBM बारकोड स्कैनर को बना नहीं पाए 1960 में लेजर के आविष्कार के बाद Joseph Woodland IBM कंपनी के साथ मिलकर बारकोड स्केनर को बनाना शुरू किया इसी समय में 1963 में 38 साल की उम्र के Bernard Silve की मृत्यु हो गयी.
1962 में Woodland ने अपने आविष्कार का पेटेंट 15000 डॉलर में Philco कंपनी को बेच दिया इसी साल के अंदर Philco कंपनी ने रेडियो कॉर्पोरेशन ऑफ अमेरिका (RCA) को बेच दिया 1967 में नेशनल एसोसिएशन ऑफ फूड चेंज (NAFC) ने पहली बार बारकोड को टेस्ट किया उस समय में बारकोड को मैन्युअली प्रोडक्ट के ऊपर लगाया जाता था. इसी साल में Association Of American Railroads (AAR) में बारकोड को Railroad Car के पहचान के लिए Blue और Red Color से बनाया गया और Car ट्रक सिस्टम को इस्तेमाल किया. जो की इस्तना सफल नहीं रहा. 1971 में IBM के एंप्लॉय जॉर्ज जे लौरेर ने Rectangle Barcode को बनाया. सबसे पहले 1974 में एक च्विंगम के पैकेट के ऊपर  बारकोड को स्कैनर किया गया और यादगार के तौर पर इस पैकेट को आज भी नेशनल म्यूजियम ऑफ अमेरिकन हिस्ट्री में रखा गया है. और लोग उसको देखते भी है.

एंटीवायरस क्या होता है

एंटीवायरस आविष्कार किसने किया – Who Invented Antivirus In Hindi

एंटीवायरस आविष्कार किसने किया – Who Invented Antivirus In Hindi
आज हम आपको एक ऐसी रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी बताएंगे यह जानकारी आपके लिए बहुत ही आवश्यक है शायद आप अपने इस तरह की जानकारी पहले नहीं सुनी होगी ना ही देखी होगी क्योंकि इस जानकारी से हमें लगभग हर रोज रूबरू होना पड़ता है क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जो कि हमारे आम जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण होती है. हम बात कर रहे हैं एंटीवायरस सॉफ्टवेयर कि हमने आपको इससे पहले एक पोस्ट में कंप्यूटर वायरस के बारे में बताया था और कंप्यूटर वायरस का आविष्कार किस तरह किया गया और क्यों किया गया उनके बारे में बताया था  अब हम आपको एंटीवायरस के बारे में बताएंगे एंटीवायरस क्या होता है इसका आविष्कार किस लिए किया गया.

एंटीवायरस क्या होता है

क्योंकि यदि एंटीवायरस का आविष्कार नहीं किया जाता है तो शायद आज के समय के लैपटॉप और कंप्यूटर इतने तेजी से चलने वाले नहीं होते क्योंकि एंटीवायरस के आने से कंप्यूटर और लैपटॉप के सभी वायरस को बहुत ही तेजी से साफ कर दिया गया और इस को कंप्यूटर और लैपटॉप में डालने के बाद  जब हम हमारे कंप्यूटर में या लैपटॉप में जब हम किसी भी तरह की साइट या कुछ ऐसी चीज ओपन करते हैं जिसमें की वायरस होते हैं. तो हमें डर नहीं रहता.  क्योंकि उस समय में हमारे कंप्यूटर की सुरक्षा एंटीवायरस करता है क्योंकि इंटरनेट पर कई वेबसाइटों के ऊपर बहुत ज्यादा वायरस होता है जो कि हमारे कंप्यूटर या लैपटॉप में से हमारी जानकारी या हमारे डाटा को वायरस चुरा सकता है और इससे हमें बहुत बड़ी दिक्कत भी हो सकती है
वह हमारे कंप्यूटर में इतनी तेजी से फैलता है इसका कोई अंदाजा नहीं है और हमारे कंप्यूटर खराब होने का भी डर रहता है क्योंकि यह वायरस खतरनाक होते हैं कि कुछ ही समय में हमारे लैपटॉप या कंप्यूटर को खत्म कर सकते हैं  वायरस हमारे कंप्यूटर में सीधा यूआरएल, स्पैम, घोटालों और फिशिंग हमलों में ब्राउज़र सहायक ऑब्जेक्ट (बीएचओ), ब्राउज़र अपहर्ताओं, रैनसमवेयर, कीलॉगर्स, बैकडोडोर, रूटरकिट, ट्रोजन हॉर्स, वर्म्स, एलएसपी, डायलर, फ्रॉड, एडवेयर और स्पाइवेयर , ऑनलाइन पहचान ,गोपनीयता , ऑनलाइन बैंकिंग, सामाजिक इंजीनियरिंग तकनीक, आदि चीजों में दिक्कत करता है और यह हमारे कोमुटर की स्पीड को कम कर देते हैं और कई बार यह हमारे कंप्यूटर  खत्म भी कर देते हैं. तो इनसे बचने के लिए एंटीवायरस का अविष्कार हुआ था .
एंटीवायरस एक ऐसी चीज होती है जो कि हमारे कंप्यूटर के अंदर वायरस को डिलीट करके हमारे कंप्यूटर की रक्षा करता है और जो वायरस हमारे कंप्यूटर के अंदर आते हैं उनको डिलीट कर देता है. और आज भी एंटीवायरस बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो हम आपको आज इस पोस्ट में एंटीवायरस के आविष्कार और उस का आविष्कार सबसे पहले किसने किया उसके बारे में जानकारी नीचे दे रहे हैं आप इस जानकारी को अच्छी तरह से और ध्यान से पढ़ें क्योंकि आपके लिए यह जानकारी बहुत जरूरी है.

एंटीवायरस से संबंधित जानकारी

एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का नाम:- Avast , MCAfee , Norton , AVG
एंटीवायरस फ्री डाउनलोड :- Free Download Anti-Virus
एंटीवायरस एप्स :- Clean Master– Space Cleaner & Antivirus , AVG AntiVirus For Android 2018 , 360 Security – Free Antivirus,Booster,Space Cleaner , Avast Antivirus 2018 , Kaspersky Mobile Antivirus: AppLock & Web Security  , Antivirus Free – Virus Cleaner – NQ Security Lab.

एंटीवायरस का आविष्कार

कंप्यूटर के आने से हमारे जीवन में बहुत काम आसान हुए हैं और कंप्यूटर के आने से हमें इतना ज्यादा काम भी नहीं करना पड़ता कुछ ही पल में हम बहुत सारा काम कर सकते हैं लेकिन कई बार इसी तरह का काम करते हुए हमारे सामने बहुत बड़ी दिक्कत आ जाती है क्योंकि कई बार हमारे सामने इतने ज्यादा वायरस हमारे कंप्यूटर में आ जाते हैं जो कि हमारी सभी जानकारी को चुरा सकता है और हमारे कंप्यूटर को खत्म कर सकता है इसलिए एंटीवायरस हमारे कंप्यूटर में होना बहुत ही जरूरी है .
क्योंकि यह सभी तरह की सुरक्षा प्रदान करता है. तो  जब इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा तो उसके बाद हमारे कंप्यूटर में वायरस का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया 1983 में कंप्यूटर के साइंटिस्ट Fred Cohen पहली बार कंप्यूटर वायरस का इस्तेमाल किया था और 1987 में Fred Cohen ने कहा कि इस तरह का एंटीवायरस बनाना नामुमकिन है. जो कि सभी तरह के वायरस को और डिलीट कर सके 1971 में Creeper Virus को बनाया गया था और उस वायरस को डिलीट करने के लिए Raper Program को बनाया गया था जो कि खुद एक वायरस था यहां से एंटीवायरस बनाने का Concept शुरू हुआ था कुछ लोगों का मानना यह है कि एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी खुद वायरस को बनाती है और  इस वायरस को डिलीट करने के लिए खुद एंटीवायरस को तैयार करती है.
पहला कंप्यूटर वायरस मस्तिष्क वायरस के रूप में जाना जाता था. और 1986 में पाकिस्तान में बनाया गया था। ब्रेन एक बूट सेक्टर वायरस था और केवल 360k फ्लॉपी डिस्क संक्रमित था।1986 में IBM PC के लिए ब्रेन वायरस को बनाया गया था यह वायरस दुनियाभर में फैल गया था इस वायरस के बाद 1980 में बहुत सारे प्रोग्रामर कंप्यूटर वायरस को लिखना शुरू किया था. उस समय में कंप्यूटर वायरस कंप्यूटर को इतना ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते थे या कंप्यूटर को खत्म नहीं करते थे.
लेकिन जैसे-जैसे समय बीता वैसे आगे ऐसे बहुत से कंप्यूटर वायरस बनाए गए जो कि कंप्यूटर को बहुत ही जल्दी खत्म कर देते थे या कंप्यूटर मैं बहुत जल्दी डाटा चुरा लेते थे 1987 में Bernd Fix ने , Vienna  वायरस के लिए  केलिए एंटीवायरस बनाया लेकिन कुछ लोग Bernd Fix को नहीं मानते हैं. एंटीवायरस को बनाए जाने के बाद बहुत से ऐसे कंप्यूटर यूजर्स को इससे फायदा में मिला जोकि अपने कंप्यूटर में वायरस आने के कारण परेशान थे और वह उसका हल ढूंढ रहे थे और लेकिन सबसे ज्यादा राहत उन्हें तब मिली जब 1991 में नॉर्टन एंटीवायरस आया. फिर  इसी तरह G Data Software, Ultimate Virus Killer को बनाया गया था
यहां से एंटीवायरस बनाने की शुरुआत की गई और उसके बाद बहुत से बढ़िया बढ़िया एंटीवायरस से बढ़िया बढ़िया कंपनियों द्वारा तैयार किए जाने लगे और आज के समय में बहुत ही अच्छे अच्छे एंटीवायरस आपको मिल सकते हैं
तो आज हमने आपको इस पोस्ट में कंप्यूटर वायरस से लड़ने के लिए बनाए गए एंटीवायरस के आविष्कार एंटीवायरस सॉफ्टवेयर
एंटीवायरस फ्री डाउनलोड एंटीवायरस एप्स  एंटीवायरस क्या है एंटीवायरस क्लीनर  एंटीवायरस के प्रकार  एंटीवायरस डाउनलोड 2018 एंटीवायरस ऐप  एंटीवायरस डाउनलोडिंग  एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का नाम के बारे में बताया और उसके बारे में बहुत सी और भी जानकारी दी और हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारी आपको बहुत अच्छी लगी होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं.

फ़ोन का पासवर्ड भुल जाये तो क्या करे

फ़ोन का पासवर्ड भुल जाये तो क्या करे

 अपने फोन का पासवर्ड भूल गए हैं तो उसे बहुत ही आसानी से हटा सकते हैं. आपको लगता है की आप अपना पासवर्ड भूल सकते है या कभी फ्यूचर में भूल जाये तो आप कैसे अपने फ़ोन के अनलॉक कर सकते है. बिना पासवर्ड के भी हम अपने एंड्राइड मोबाइल को अनलॉक कर सकते है .उसके लिए आपको कुछ सिंपल स्टेप्स करने की जरूरत है.

अगर आप फ़ोन का पासवर्ड भूल गए है तो इसके  लिए आपको सर्विस सेंटर जाने की जरूरत नहीं ये आप घर बैठ भी कर सकते है . और तीसरा तरीका हर समय काम नहीं करता क्योंकि इसके लिए इंटरनेट की जरूरत पड़ती है .

1st # Internet Se Unlock Phone

इस पोस्ट में आपको Android मोबाइल के बारे में बताया जाएगा कि कैसे आप Android में अपने फोन का पासवर्ड रीसेट कर सकते हैं जैसा कि हम सब जानते हैं एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल कंपनी द्वारा बनाया गया है तो अगर आपकी फोन पर लॉक लग जाता है और आप उसे भूल जाते हैं तो आप अपने Google के अकाउंट से भी उसे रीसेट कर सकते हैं इसके लिए आपको नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करना है.लेकिन इसके लिए आपके मोबाइल में इंटरनेट शुरू होना चाहिए और आपके मोबाइल में आपका Google अकाउंट लॉगिन होना चाहिए या यूं कहें कि आपकी Gmail ID लॉगिन होनी चाहिए तभी आप नीचे दिए गए तरीके को अपना सकते हैं .
  • सबसे पहले  Android Device Manager पर जाये
  • अब उस ईमेल ID से लाग इन करे जिस ईमेल ईद से आप अपने फ़ोन के गूगल प्ले स्टोर में लोगिन होते है .
  • अब आपके सामने 3 ऑप्शन आएंगे .
Phone Ka Password Bhul Jaye To Kya Kare
  • वंहा आपको लॉक के ऑप्शन पर क्लिक करना है.
  • अब नई पॉप विंडो आएगी वंहा आपके सामने 4 ब्लेंक बॉक्स होंगे शुरू के 2 में आपको न्यू पासवर्ड भरना है और बाकि 2 को खाली छोड़ दे और लॉक पर क्लिक करे.
  • अब आप अपना मोबाइल न्यू पासवर्ड के साथ अनलॉक कर सकते है .
ऊपर बताया गया तरीका आपके फोन गए लिए बहुत ही सुरक्षित है जिससे कि आपके फोन के डाटा को बिना नुकसान पहुंचाए आप अपने फोन का पासवर्ड हटा सकते हैं लेकिन अगर आपके लिए ऊपर वाला तरीका काम नहीं करता तो इसके लिए आपको नीचे दिया गया तरीका इस्तेमाल करना होगा .

2nd # Wipe Factory Or Factory Reset

यह तरीका थोड़ा सा मुश्किल है और इसमें आप अपने फोन का सारा डाटा खो देंगे इस तरीके का इस्तेमाल आपके फोन के डाटा को डिलीट करेगा और आपका फोन बिल्कुल एक नए मोबाइल की तरह शुरू हो जाएगा. तो अगर आप अपने मोबाइल का सारा डाटा डिलीट कर सकते हैं तो आप नीचे दिया गया तरीका अपनाएं और अपने फोन के पासवर्ड को हटाए .
  • सबसे पहले अपने एंड्राइड मोबाइल को स्विच ऑफ करदे.
  • अब हमें इसके रिकवरी मोड में जाना जंहा से हम इसे रिसेट करेंगे .
  • रिकवरी मोड हमारे फ़ोन को अपग्रेड करने के काम भी आता है
  • अब अपने मोबाइल में  “Power Key + Home + Volume Down Key” ये तीनो बटन एक साथ दबाने है .
  • अब आपके सामने कुछ आप्शन आएंगे उन ऑप्शन को आप वॉल्यूम की उप और डाउन से सेलेक्ट करेंगे .
  • अब वंहा आपको “Wipe Factory Ya Reset Factory” का ऑप्शन सेलेक्ट करके पावर Key दबाना है .और Yes कर देना है
  • आपका मोबाइल थोड़ी देर बाद आपने आप रिबूट हो जायेगा .
  • आपका मोबाइल बिलकुल नए मोबाइल की तरह शुरू होगा सारी  सेटिंग आपको दुबारा करनी पड़ेगी .
कुछ मोबाइल में आपको इसकी जगह रीसेट का भी ऑप्शन मिल सकता है जिससे कि आपका मोबाइल रीसेट होगा और आपको फिर से अपने फोन में सभी एप्लीकेशन गेम कांटेक्ट और अकाउंट लॉगिन करने होंगे.
Note :- इस से आपका मोबाइल का सारा डेटा डिलीट हो जायेगा , सिर्फ मेमोरी कार्ड का डाटा बचेगा.Reset करने से पहले आपका मोबाइल काम से काम 60 % चार्ज होना चाहिए.सभी मोबाइल में रिसेट फैक्ट्री का ऑप्शन अलग होता है , ये आपको देखना होगा की आपके मोबाइल में किस ऑप्शन से फ़ोन रिसेट होगा.

3rd # Remove Screen/PIN Password Without Losing Any Data

यदि आपके पास Google अकाउंट नहीं है और आप आपके फ़ोन का पासवर्ड भूल गये है और आप अपना डाटा भी सेफ रखना चाहते है तो आपको Android Data Recovery का उपयोग करना चाहिए  इस से आप कुछ मिनटों में पिन / पैटर्न / फिंगर प्रिंट का पासवर्ड निकाल सकते हैं आप इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकते है |
Step 1 :  सबसे पहले एक कंप्यूटर पर प्रोग्राम डाउनलोड और इंस्टॉल करें  उसके बाद उसे ओपन करे |
Step 2 :  सोफ्टवेयर ओपन करने के बाद आप अपने फ़ोन को USB केबल से कंप्यूटर से कनेक्ट करे.
Step 3 :अपने एंड्रॉइड फोन को कनेक्ट करने के बाद डाउनलोड मोड में लें जाये और उसके बाद डिस्प्ले पर दिए गये  Instructions को फॉलो करे .
Step 4;-  “Start” बटन पर क्लिक करे उसके बाद फ़ोन डाउनलोड मोड में चला जायेगा उसके बाद आपका डाटा रिकवरी होना स्टार्ट हो जायेगा |
और इस प्रकार आप इस सॉफ्टवेयर की मदद से अपने फोन के पासवर्ड को हटा सकते हैं. यह सॉफ्टवेयर फ्री में सिर्फ आपको ट्रायल वर्जन ही मिलेगा इसका पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए आपको कुछ पैसे देने पड़ेंगे. जो कि आपको इसकी वेबसाइट पर बताया जाएगा अगर आप यह सॉफ्टवेयर पैसे देकर नहीं लेना चाहते .तो आपको नंबर दो पर बताया गया तरीका अपनाना होगा और अपने फोन को रिसेट करना होगा तभी आप अपने मोबाइल का पासवर्ड हटा सकते हैं .


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माइक्रोसॉफ्ट विंडो की इतिहास History Of Microsoft Window In Hindi

माइक्रोसॉफ्ट विंडो की इतिहास History Of Microsoft Window In Hindi

तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि किस तरह से माइक्रोसॉफ्ट विंडो सबसे पहले दुनिया के सामने लाई गई.

1. MS Dos Windows

सबसे पहले विंडो की शुरुआत हुई थी 1981 में उस समय इसका नाम MS Dos Windows था जिस की फुल फॉर्म होती थी माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम और यह IBM के पर्सनल कंप्यूटर के लिए बनाया गया था. इसमें यूजर इंटरफेस के नाम पर कुछ भी नहीं था. इसमें आप सिर्फ कमांड टाइप करके इस्तेमाल कर सकते थे. उस समय कंप्यूटर की एक सिर्फ ब्लैक स्क्रीन होती थी.और उस पर आप कमांड टाइप करके लिख सकते थे. और जो आप वर्ड लिखते थे .वह हमें सफेद कलर का दिखाई देता था. और इसमें जो एप्लीकेशन होती थी. वह Dos एप्लीकेशन होती थी. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम इस तरह से ही काम करता है. इसमें आय कैन आदि चीजें नहीं होती थी. इसमें कुछ भी नहीं होता था. बस सिर्फ एक ब्लैक कलर की स्क्रीन और उसके ऊपर जो आप सफेद कलर के वर्ड लिखते थे. वह लेकिन यहां से तो सिर्फ पर्सनल कंप्यूटर की शुरुआत हुई थी. और यहां से शुरुआत होने के बाद यह दुनिया के लगभग घर घर में पहुंच गया.

2.Windows 1.0

उसके बाद 1985 में विंडो ने लांच कर दिया अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 1.0 इस ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको सिर्फ टाइप ही नहीं करना होता था. इसमें आप पॉइंट करके विंडो जो बॉक्स का इंटरफ़ेस होता है. जिसको आज के समय में हम देखते हैं. इसमें वह Introduce कराया गया था. इसमें हम लिखने के साथ-साथ सिलेक्ट भी कर सकते थे. और हम इसके ऊपर क्लिक भी कर सकते हैं. यह इसका एक बहुत ही बढ़िया Feature था.

3.Window 2.0

उसके बाद फिर विंडो ने 1987 में अपना एक और नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और यह Windows 2.0 था. इस ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे अच्छी बात यह थी. कि इसमें इसमें हमें कीबोर्ड के शॉर्टकट मिलने लगे थे. इसमें एक icon भी मिलने लगे थे. इसमें हमें एक्स्ट्रा ग्राफिक का सपोर्ट भी मिलने लगा. जो हमें देखने की चीजें होती थी उनको देखने में काफी बदलाव आए. इंटेल के जो 286 प्रोसेस आए थे. उनके लिए यह ऑपरेटिंग सिस्टम खास तौर पर तैयार किया गया था. और यह उसके ऊपर बहुत अच्छी तरह से चलता था. MS Dos का सपोर्ट तो उसमें इस समय भी था. लेकिन यह पुराना ऑपरेटिंग सिस्टम था. लेकिन इस को बदलकर काफी एडवांस कर दिया गया. और यह विंडो बहुत ही पॉपुलर रही.

4. Windows 3.0

1987 के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार फिर से बदला और अब आ चुकी थी. विंडो 3.0 और 3.1 यह  1990 और 1994 के बीच में आई थी. और यह उस समय में बहुत ही पॉपुलर ऑपरेटिंग सिस्टम रहा. इस ऑपरेटिंग सिस्टम के आते ही बिल्कुल सब कुछ एकदम से बदल गया. इसमें 16 Bit कलर का सपोर्ट मिलने लगा. और इसमें एडवांस ग्राफिक का सपोर्ट भी मिलने लगा.और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को इंटेल के 386 के प्रोसेसर के लिए बनाया गया था. इसमें हम बहुत ज्यादा चीजें इस्तेमाल कर सकते थे. जैसे Icon एडवांस ग्राफिक माउस और कीबोर्ड का सपोर्ट भी अच्छा मिलने लगा था. और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को बहुत ही अच्छे से ऑप्टिमाइज़ किया गया. इसमें एकदम से नया बदलाव देखने को मिला और इसमें फाइल मैनेजर और प्रोग्राम मैनेजर जैसी चीजें दी गई. और यह ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम जहां से कंप्यूटर गेम की शुरुआत हुई. उसके साथ ताश का गेम आया. और यह विंडो वह बहुत ही पॉपुलर विंडो रही.

5. Windows NT

1993 और 1996 के बीच में एक बार फिर से माइक्रोसॉफ्ट ने अपना नया विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया जिसका नाम था. Windows NT यानी Window New Technology यह भी एक 32 Bit का ऑपरेटिंग सिस्टम था. और यह वर्क स्टेशन और सर्वर के लिए बनाया गया था. सबसे पहली बार यदि किसी कंप्यूटर में ज्यादा अच्छी तरह से Multitasking दी गई थी. तो उसकी शुरुआत Windows NT से हुई थी. और यह 1993 से 1996 के बीच में बहुत ज्यादा पॉपुलर हुई थी. और सर्वर और वर्क स्टेशन के तौर पर इसको काफी इस्तेमाल किया जाता था.

6. Windows 95

और उसके बाद 1995 एक बार फिर इस ऑपरेटिंग सिस्टम को बदला गया और फिर आई विंडो 95 इसकी जो मुख्य हाईलाइट थी. वह इसके जो सोफ्टवेयर थे वो 32 Bit Architecture के ऊपर चलने लगे. यानि की इस ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर तैयार किए जाने लगे. और वह सॉफ्टवेयर इसके ऊपर बहुत ही तेजी से काम करने लगे. इसमें Plugin Play का सपोर्ट भी मिलने लगा. यानी कि प्रिंटर आदि जैसी चीजें जोड़ सकते थे. यह अपने आप ही पता लगा लेता था कि इसमें कौन सा हार्ड ड्राइव यानी कौन सा हार्डवेयर लगाया गया है. यह ऑपरेटिंग सिस्टम काफी एडवांस था. जैसे कि हमने आपको बताया यह 32 Bit Architecture मतलब 640 K की जो मेमोरी होती थी. वह इस समय बंद हो चुकी थी. इसमें किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं था और इसके साथ ही जो 8 वर्ड का फाइल नाम होता था. वह भी प्रतिबंध नहीं था इसमें आप कितन भी लम्बा फाइल का नाम रख सकते हैं. और जो मेन मेमोरी होती थी 640 K की वह भी बदल कर अब ज्यादा हो चुकी थी. जो ज्यादा हैवी कंप्यूटर की शुरुआत थी. वह आप यहां से कह सकते हैं. कि विंडो 95 से शुरू हुई थी.

7.Windows 98

उसके बाद 1998 में आई विंडो 98 इसमें मुख्य रूप से जोर दिया गया था. USB ,DVD प्लेयर पर यह सभी चीजें इस विंडो में दी गई थी. और यह पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था. जिसमें किसी भी तरह का कोई फर्क नहीं था. कि आप कोई लोकल फाइल स्टोर कर रहे हैं. या किसी इंटरनेट के ऑनलाइन सर्वर पर डाउनलोड कर रहे हैं. इन दोनों में कोई भी फर्क नहीं था. दोनों तरीकों से आप एक्सेस कर सकते थे. उसमें कोई फर्क नहीं होता था. कि वह अपने ऑनलाइन सेव किया है. या पहले से ही आपकी मेमोरी में सेव है. इसकी एक और खास बात थी कि यह इसमें एक्टिव डेक्सटॉप था.और सबसे पहली बार अगर किसी ऑपरेटिंग सिस्टम में इंटरनेट एक्सप्लोरर दिया गया था. तो वो इसी में दिया गया था.  इसमें इंटरनेट एक्सप्लोरर पहली बार देखा गया था.

8. Windows ME

इसको सन 2000 में लांच किया गया था. वैसे तो उसमें कोई खास बदलाव नहीं किए गए थे. क्योंकि यह Windows 98 का ही अपडेट वर्जन था. लेकिन इसमें Boot और Dos के ऑप्शन को हटा लिए लिया गया था. और छोटे मोटे और अपडेट करके इसको सन 2000 में नए नाम से लॉन्च किया गया.

9.Windows 2000

माइक्रोसॉफ्ट ने सन 2000 में अपना एक बार फिर से ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और उसने विंडो 2000 लांच की जिसको विंडो W2K भी कहा जाता था. इस ऑपरेटिंग सिस्टम में मुख्य रूप से Network Resources पर ज्यादा ध्यान दिया गया.इससे आप अपने कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ सकते थे. अपने कंप्यूटर को प्रिंटर से जोड़ सकते थे. वह बहुत अच्छी थी और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को इस तरह से बनाया गया था. कि आप इसको सर्वर की तरह भी इस्तेमाल कर सकते थे. इसमें प्रिंटर का बहुत ज्यादा अच्छा सपोर्ट मिला था प्रिंटर को सबसे ज्यादा अच्छी तरह से इस्तेमाल विंडो 2000 में ही किया जाने लगा था. और इसके साथ ही आप इंटरनेट से इसको आसानी से कनेक्ट कर सकते थे. पहले वाली विंडो में आप इंटरनेट को आसानी से कनेक्ट नहीं कर पाते थे. और यह पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था जो लैपटॉप पर चल सकता था. क्योंकि उस जमाने में लैपटॉप भी नई चीज थी. यानी यह एक चमत्कार ही था क्योंकि उस समय में कंप्यूटर भी बहुत कम हुआ करते थे. और उस समय में अगर कोई आदमी चलता फिरता कंप्यूटर अपने पास रखता है. तो वह तो किसी चमत्कार से कम नहीं हुआ करता था. इसमें लैपटॉप का भी अच्छा सपोर्ट मिलने लगा. इसमें एक और भी नई चीज मिली थी. इसमें जो हाई ट्रैफिक डाटा Central होते थे. वहां पर भी इस ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. क्योंकि जैसा की हमने आपको बताया कि इस ऑपरेटिंग सिस्टम में  Network Resources अच्छे से कर सकते थे.इसीलिए इसको जहां पर बहुत ज्यादा हाई ट्रैफिक डाटा Central होता था. वहां पर इसका इस्तेमाल किया जाने लगा.

10.Windows XP

उसके बाद अक्टूबर 2001 में नये ऑपरेटिंग सिस्टम को लांच किया. उन्होंने विंडो XP को लांच किया विंडो XP के आते ही कंप्यूटर चलाना बहुत ही आसान हो गया. और यह कंप्यूटर की दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव साबित हुआ. जोकि  विंडो 2000 के कर्नल पर बना था. विंडो का यह सबसे ज्यादा पॉपुलर और सबसे ज्यादा बिकने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो XP ही था. और यह आज तक सबसे ज्यादा सफल भी यही ऑपरेटिंग सिस्टम रहा. और अभी तक इसकी टक्कर का ऐसा कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं आया है. लेकिन इसका जो  सपोर्टिंग और जो सिक्योरिटी के चीजें थी. वह 2014 नहीं खत्म हो गई. लेकिन आज भी बहुत सी जगह पर जैसे ATM मशीन और कैश ट्रांजेक्शन होते हैं. वहां पर इस ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन कई लोगों ने इसको इस्तेमाल करने से मना कर दिया है. उन्होंने कहा है. कि यह Outdated version हो चुका है. इसका इस्तेमाल आप है ना करें इसके वायरस को नष्ट करने वाले सॉफ्टवेयर अब नहीं बनाए जा रहे हैं.इस ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे ज्यादा पॉपुलर जो रहा. यह इसका वायरलेस सिस्टम रहा सबसे पहले इसमें वायरलेस सिस्टम उपलब्ध कराया गया. 
इस ऑपरेटिंग सिस्टम में वायरलेस टेक्नोलॉजी को दिया गया. क्योंकि अब यह समय आ चुका था जब वायरलेस ब्लूटूथ, वाईफाई जैसी चीजें आ चुकी थी. तो उसको इस्तेमाल करने के लिए सॉफ्टवेयर भी होना जरुरी थे. लैपटॉप में जो लोग विंडो XP का इस्तेमाल किया करते थे. वे लोग वाईफाई ब्लूटूथ या दूसरी वायरलेस टेक्नोलॉजी जो होती थी. उसका इस्तेमाल इसमें कर सकते थे. इस विंडो का जो बैकग्राउंड होता था. जैसे इसके पीछे घास और वह ऊपर नीला आसमान वह बहुत ही पॉपुलर हुआ था.और अब इसमें लोग गेम भी खेलने लगे हमें नए नए गेम इस्तेमाल की जाने लगे क्योंकि अब इसमें किसी भी तरह की कोई लिमिट नहीं थी. इसके होम और प्रोफेशनल दो वर्जन निकाले गए थे. इसमें मीडिया एडिट करने लगे. जो मीडिया को एडिट करने का ऑप्शन आता था वह आप्शन इसमें लगाए गए थे.

10.Windows Vista

2006 में एक बार फिर से माइक्रोसॉफ्ट ने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और उसने अब Windows Vista को लांच किया Windows Vista विंडो XP के बाद में आई थी.Windows Vista विंडो XP से बहुत ज्यादा एडवांस थी. क्योंकि आप शायद जानते होंगे कि विंडो XP जो थी. वह Boot बहुत  समय लगाती थी. लेकिन Windows Vista में Booting टाइप में बदलाव किये गये. और इस ऑपरेटिंग सिस्टम में और भी बहुत सारे बदलाव किए गए. यह लाइट वेट ऑपरेटिंग सिस्टम था. जल्दी Boot हो जाता था.और कुछ प्रोग्राम तो इसमें बहुत ज्यादा स्पीड चलते थे. और इसको Manage करना भी बहुत ही आसान था. और इसमें Error नहीं आते थे. क्योंकि विंडो XP अच्छा सिस्टम तो है. लेकिन इसको इस्तेमाल करना और इसको Error फ्री रखना बहुत मुश्किल होता था. आपको याद भी होगा क्योंकि विंडो XP में सबसे ज्यादा वायरस आते थे. इसलिए उन को मैनेज करना बहुत मुश्किल होता था. हालांकि फीचर्स के हिसाब से विंडो XP आज भी बहुत पॉपुलर मानी जाती है. लेकिन सिर्फ Error के कारण उसको अच्छे से मैनेज नहीं कर पाते थे. उस चीज को देखते हुए Windows Vista लांच किया गया. और यह कम हार्डवेयर का इस्तेमाल करता था. और कुछ छोटे-मोटे बदलाव करके इसको लांच किया गया. और इसका सबसे बड़ा फायदा यह है. कि यह विंडो XP से कम बैटरी इस्तेमाल करता था.

11.Windows 7

उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने सन 2009 में एक बार फिर से अपना बहुत ही बढ़िया और पॉपुलर ऑपरेटिंग Windows 7 को लांच किया यह बहुत ही ज्यादा एडवांस और दिखने में बिल्कुल अलग थी.और इसमें वर्चुअल हार्ड डिस्क का सपोर्ट भी इसमें देखने को मिला इसमें इंटरनेट एक्सप्लोरर 8 दिया गया. और मीडिया सेंटर का भी काफी अच्छा सपोर्ट मिला. यह दुनिया का सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था. जिसमें टच इंटरफ़ेस को दिया गया. और इस दौर में टच कंप्यूटर या लैपटॉप आने लगे थे. अगर हम बात करें इस ऑपरेटिंग सिस्टम के पूरे सफर की तो विंडो XP के बाद यह दूसरा ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम था. जिसने दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव ला दिया. और आज के समय में भी विंडो 10 से ज्यादा लोग Windows 7 का इस्तेमाल करते हैं. यहां तक तो Windows 7 का सफर बिल्कुल बढ़िया रहा. लेकिन आगे कुछ ऐसा होने वाला था जिसके बारे में किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा. 

12. Windows 8

यह माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम का लगभग सबसे खराब समय रहा जब 2012 में विंडो ने माइक्रोसॉफ्ट ने अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 8 लांच किया. और जिसके बाद Microsoft को बहुत पछताना पड़ा. क्योंकि यह बिल्कुल भी विंडो नहीं लगती थी और यह बिल्कुल नई डिजाइन की विंडो थी. जब उसको लोड करते थे. तो टाइल जैसे डिब्बे आ जाते थे. मेट्रो की नई थीम विंडो ने सोचा कि इसको हम इसमें लगा देते हैं. क्योंकि यह टच कंप्यूटर का दौर था. जब हम किसी भी चीज को टच करके चलाते थे. और लिए माइक्रोसॉफ्ट ने सोचा कि इसमें टाइल के जैसे मेट्रो थीम लगा दी जाए. लाइव टाइल का अपडेट उसमें देखने को मिलता. ARM और X86 यानि 32 बिट और ARM प्रोसेसर इनके साथ बहुत अच्छे से चलती थी. यह बिल्कुल ही लाइट वेट ऑपरेटिंग सिस्टम था. यह बहुत ज्यादा विंडो सेवन से मिलता जुलता था. लेकिन इसका लुक बिल्कुल अलग था. लोगों को यह लुक पसंद नहीं आया. और यह विंडो बहुत ही असफल रही क्योंकि यह सिर्फ इसके लुक की वजह से रही वह पॉपुलर नहीं हो पाई. अगर उसका डिजाइन बढ़िया होता तो वह शायद बहुत अच्छे से इस्तेमाल की जा सकती थी.

13. Windows 10

उसके बाद फिर 2015 में उन्होंने अपना नया और सबसे एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 10 को लांच किया जो आज के समय में भी हमारे लगभग सभी की कंप्यूटर में चलती है. यह बहुत ही एडवांस विंडो थी. और इसका लुक भी चेंज कर दिया गया था. और माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी पिछली गलती को सुधार दिया. और वापस पिछली चीजों को इसमें लगा दिया गया वैसे ही स्टार्ट बटन को भी इसमें लगाया गया. लेकिन एक गलती फिर भी उन्होंने जरूर की उन्होंने टाइल फिर भी उसके अंदर जरूर दी. और इस ऑपरेटिंग सिस्टम में सबसे ज्यादा स्टार्ट बटन और टाइल्स का मेल देखने को मिला.और इसमें माइक्रोसॉफ्ट के द्वारा इंटरनेट एक्सप्लोरर को सुधारने की भी कोशिश की गई.
जैसे की आप सभी जानते हैं. कि इंटरनेट एक्सप्लोरर बहुत ही स्लो चलता है. और इस लिए बहुत लोग परेशान भी हैं. लेकिन फिर माइक्रोसॉफ्ट ने इसको सुधारा और उस ब्राउज़र का नाम बदलकर नया ब्राउज़र तैयार किया और उसका नाम रखा Microsoft Edge और इस ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ इसको दिया गया और यह बहुत ही फास्ट ब्राउज़र है. और यदि आप लैपटॉप का  इस्तेमाल करते हैं तो Google Chrome ज्यादा पावर इस्तेमाल करता है. और Microsoft Edge बहुत ही कम पावर लेता है. और अब विंडो ने कुछ ऐसी शर्तें भी लागू की यदि आप की Copy Pirated है. या आपने Crack की है. या उसमें Key लगाई है. क्या आपने कुछ भी करके उसको Crack किया है. तो भी आप को विंडो 10 के लिए अपडेट जरूर मिलेंगे. तो आप बिना किसी दिक्कत के आराम से इसको अपडेट कर सकते हैं. इसके बाद लोगों को अपडेट मिलने शुरू हो गए. कि चाहे कैसी भी Copy Pirated हो और वह भी अपडेट होने लगी. क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट चाहता था. कि लोग किसी भी तरह से विंडो 8 को बदल कर विंडो 10 इस्तेमाल करें. और जो माइक्रोसॉफ्ट की गलती थी. जो विंडो 8 के साथ की गई थी वह ठीक हो जाए.
तो इस तरह से माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो का इतिहास रहा और आज के समय में हमारे सामने माइक्रोसॉफ्ट ने अपना सबसे बढ़िया और एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो 10 को लेकर आए.
तो अब आपको पता चल गया होगा की विंडो का इतिहास कहां से शुरू हुआ और कैसे यह हम तक पहुंची और किस-किस तरह कि इसमें बदलाव किए गए तो आज हम आपको इस पोस्ट में माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम विंडो के इतिहास के बारे में बताए और उसके बारे में सारी विस्तार से जानकारी दी. यदि हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारी आपको पसंद आए तो शेयर करना ना भूले और यदि आपको इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछते हैं.