विशेष: ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technique)
संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
ब्लॉकचेन को भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिये क्रांतिकारी तकनीक माना जा रहा है, लेकिन इस प्रौद्योगिकी की उत्पत्ति के संबंध में बहुत अधिक जानकारी सुलभ नहीं है। ऐसा माना जाता है कि 2008 में बिटकॉइन का आविष्कार होने के बाद इस क्रिप्टो-करेंसी को समर्थन देने के लिये इस ब्लॉकचेन तकनीक की खोज की गई। यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसके बिना बिटकॉइन या अन्य किसी भी प्रकार की क्रिप्टो-करेंसी का लेन-देन कर पाना असंभव है।
ब्लॉकचेन को भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिये क्रांतिकारी तकनीक माना जा रहा है, लेकिन इस प्रौद्योगिकी की उत्पत्ति के संबंध में बहुत अधिक जानकारी सुलभ नहीं है। ऐसा माना जाता है कि 2008 में बिटकॉइन का आविष्कार होने के बाद इस क्रिप्टो-करेंसी को समर्थन देने के लिये इस ब्लॉकचेन तकनीक की खोज की गई। यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसके बिना बिटकॉइन या अन्य किसी भी प्रकार की क्रिप्टो-करेंसी का लेन-देन कर पाना असंभव है।
क्या है ब्लॉकचेन?
- जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन का नाम दिया गया है।
- ब्लॉकचेन तकनीक तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल 'की' (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है।
- क्रिप्टोग्राफी की सुरक्षित श्रृंखला पर सर्वप्रथम 1991 में स्टुअर्ट हैबर और डब्ल्यू. स्कॉट स्टोर्नेटा ने काम किया। इसके अगले वर्ष यानी 1992 में इन दोनों के साथ बायर भी आ मिले और इसके डिज़ाइन में सुधार किया, जिसकी वज़ह से ब्लॉक्स को एकत्रित करने का काम आसान हो गया।
- ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिससे बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टो-करेंसियों का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजनिक बही-खाता’ (Public Ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन का रिकॉर्ड दर्ज़ किया जाता है।
- ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
- ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है।
(टीम दृष्टि इनपुट)
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वैश्विक स्थिति क्या है?
- आज कई विशाल वैश्विक वित्तीय कंपनियां इसके निहितार्थ और अवसरों के मद्देनज़र इसे अपने कार्यों में शामिल करने पर विचार कर रही हैं।
- कई विकसित देशों में सरकारें अपने यहाँ बेहतर गवर्नेंस के लिये ब्लॉकचेन तकनीक के इस्तेमाल की योजना बना रही हैं।
- 2016 में रूस में ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म पर आधारित एक पायलट परियोजना की शुरुआत की गई, जिसमें इस तकनीक का इस्तेमाल स्वचालित मतदान प्रणाली के लिये करने पर काम चल रहा है।
- विश्व आर्थिक फोरम द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, विश्वभर में 90 से अधिक केंद्रीय बैंक ब्लॉकचेन चर्चा में शामिल हैं।
- पिछले तीन वर्षों में इसके लिये 2500 पेटेंट दर्ज़ किये गए हैं।
भारत में ब्लॉकचेन
बेशक बिटकॉइन इस तकनीक का मात्र एक अनुप्रयोग है, जिसके उपयोग की जाँच अनेक उद्योगों में की जा रही है। भारत के बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में इसके प्रति बहुत आकर्षण देखने को मिल रहा है। वस्तुतः इन क्षेत्रों में कई लोग संघ का निर्माण कर रहे हैं, ताकि वे उद्योगों के स्तर पर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों से विश्व को अवगत करा सकें।
(टीम दृष्टि इनपुट)
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कैसे काम करती है ब्लॉकचेन तकनीक?
- माना जाता है कि ब्लॉकचेन में तमाम उद्योगों की कार्यप्रणाली में भारी बदलाव लाने की क्षमता है। इससे प्रक्रिया को ज़्यादा लोकतांत्रिक, सुरक्षित, पारदर्शी और सक्षम बनाया जा सकता है।
- ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो सुरक्षित एवं आसानी से सुलभ नेटवर्क पर लेन-देनों का एक विकेंद्रीकृत डाटाबेस तैयार करती है।
- इस वर्चुअल बही-खाते में लेन-देन के इस साझा रिकॉर्ड को नेटवर्क पर स्थित ब्लॉकचेन को इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति देख सकता है।
- ब्लॉकचेन डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की एक ऐसी श्रृंखला है जिसके प्रत्येक ब्लॉक में लेन-देन का एक समूह समाविष्ट होता है।
- ये ब्लॉक एक-दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े होते हैं तथा इन्हें कूट-लेखन (Encryption) के माध्यम से सुरक्षित रखा जाता है।
- यह तकनीक सुरक्षित है तथा इसे हैक करना मुश्किल है। इसीलिये साइबर अपराध और हैकिंग को रोकने के लिये यह तकनीक सुरक्षित मानी जा रही है।
- इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़ी कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है।
ब्लॉकचेन की प्रमुख विशेषताएँ
- विकेंद्रीकरण और पारदर्शिता ब्लॉकचेन तकनीक की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है, जिसकी वज़ह से यह तेज़ी से लोकप्रिय और कारगर साबित हो रही है।
- ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिसे वित्तीय लेन-देन (Financial Transactions) रिकॉर्ड करने के लिये एक प्रोग्राम के रूप में तैयार किया गया है।
- यह एक डिजिटल सिस्टम है, जिसमें इंटरनेट तकनीक बेहद मज़बूती के साथ अंतर्निहित है।
- यह अपने नेटवर्क पर समान जानकारी के ब्लॉक को संग्रहीत कर सकता है।
- ब्लॉकचेन डेटाबेस को वितरित करने की क्षमता रखता है अर्थात् यह एक डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क की तरह कार्य करता है।
- डेटाबेस के सभी रिकॉर्ड किसी एक कंप्यूटर में स्टोर नहीं होते, बल्कि हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों में इसे वितरित किया जाता है।
- ब्लॉकचेन का हर एक कंप्यूटर हर एक रिकॉर्ड के पूरे इतिहास का वर्णन कर सकता है। यह डेटाबेस एन्क्रिप्टेड होता है।
- ब्लॉकचेन सिस्टम में यदि कोई कंप्यूटर खराब भी हो जाता है तो भी यह सिस्टम काम करता रहता है।
- जब भी इसमें नए रिकार्ड्स को दर्ज करना होता है तो इसके लिये कई कंप्यूटरों की स्वीकृति की ज़रूरत पड़ती है।
- ब्लॉकचेन को यूज़र्स का ऐसा ग्रुप आसानी से नियंत्रित कर सकता है, जिसके पास सूचनाओं को जोड़ने की अनुमति है और वही सूचनाओं के रिकॉर्ड को संशोधित भी कर सकता है।
- इस तकनीक में बैंक आदि जैसे मध्यस्थों की भूमिका समाप्त हो जाती है और व्यक्ति-से-व्यक्ति (P-to-P) सीधा संपर्क कायम हो जाता है।
- इससे ट्रांजेक्शंस में लगने वाला समय तो कम होता ही है, साथ ही गलती होने की संभावना भी बेहद कम रहती है।
कहाँ हो सकता है इसका उपयोग?
क्रिप्टो-करेंसियों के अलावा निम्नलिखित क्षेत्रों में ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है:
क्रिप्टो-करेंसियों के अलावा निम्नलिखित क्षेत्रों में ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है:
- सूचना प्रौद्योगिकी और डाटा प्रबंधन
- सरकारी योजनाओं का लेखा-जोखा
- सब्सिडी वितरण
- कानूनी कागज़ात रखने
- बैंकिंग और बीमा
- भू-रिकॉर्ड विनियमन
- डिजिटल पहचान और प्रमाणीकरण
- स्वास्थ्य आँकड़े
- साइबर सुरक्षा
- क्लाउड स्टोरेज
- ई-गवर्नेंस
- स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट
- शैक्षणिक जानकारी
- ई–वोटिंग
ब्लॉकचेन के उपयोग के लाभ सभी लेन-देनों के लिये भिन्न-भिन्न होंगे। वेबसाइट डेलॉइट और एसोचैम के अनुसार, ब्लॉकचेन उस समय अधिक लाभकारी सिद्ध होगा जब आँकड़े अधिक होंगे तथा उन्हें अनेक लोगों के बीच साझा करना हो एवं उन लोगों के मध्य विश्वास की भावना न हो।
यह तकनीक ऐसे उद्योगों के लिये उपयोगी होगी, जो विकेंद्रित डाटा संग्रहण, डाटा अपरिवर्तनीयता और ब्लॉकचेन की वितरित स्वामित्व सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
(टीम दृष्टि इनपुट)
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अर्थव्यवस्था और गवर्नेंस में ब्लॉकचेन
भारत सरकार यथासंभव प्रयास कर रही है कि अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देकर कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढाए जाएं। इंटरनेट ने वित्तीय लेनदेन का परिदृश्य काफी हद तक बदल दिया है और नई तकनीक के प्रयोग से नकद लेन-देन का चलन पहले की अपेक्षा काफी कम हुआ है। कार्ड या किसी भी अन्य डिजिटल माध्यम से एक खाते से दूसरे में पैसे भेजना, किसी बिल का भुगतान करना, किराने या दवा की दुकान पर भुगतान करना आदि बेहद आसान हो गया है। भविष्य में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग कर इन सब को और मज़बूती देना संभव हो सकता है, लेकिन इसके लिये सही दिशा में सही समय पर सही कदम उठाना ज़रूरी होगा।
भारत सरकार यथासंभव प्रयास कर रही है कि अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देकर कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढाए जाएं। इंटरनेट ने वित्तीय लेनदेन का परिदृश्य काफी हद तक बदल दिया है और नई तकनीक के प्रयोग से नकद लेन-देन का चलन पहले की अपेक्षा काफी कम हुआ है। कार्ड या किसी भी अन्य डिजिटल माध्यम से एक खाते से दूसरे में पैसे भेजना, किसी बिल का भुगतान करना, किराने या दवा की दुकान पर भुगतान करना आदि बेहद आसान हो गया है। भविष्य में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग कर इन सब को और मज़बूती देना संभव हो सकता है, लेकिन इसके लिये सही दिशा में सही समय पर सही कदम उठाना ज़रूरी होगा।
सुरक्षा चिंताएँ भी जुड़ी हैं
- इंटरनेट और डिजिटल तकनीक के मेल ने लेन-देन और सूचनाओं के आदान-प्रदान के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया है। इसमें ब्लॉकचेन तकनीक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
- इससे कई तरह की आशंकाओं और प्रश्नों को बल मिला है, जैसे-डिजिटल भुगतान या सूचना का लेन-देन कब किया गया?...कैसे हुआ?...किसे हुआ?...हुआ भी या नहीं?
- इसके अलावा हस्तांतरण की सुरक्षा, स्थानांतरणण की वैधता की जाँच-परख करने का सवाल भी कम बड़ा नहीं है।
- निजी जानकारियाँ सुरक्षित रखने के मामले में तथा जहाँ जानकारियों या सूचनाओं के लीक होने का खतरा हो, वहाँ ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता।
- भारत में डिजिटल लेन-देन की गति विकसित देशों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इससे होने वाली धोखाधड़ी के मामले लगभग रोज़ सामने आते हैं।
- डेबिट/क्रेडिट कार्ड और बैंक खातों की हैकिंग भी होती रहती है तथा देश में इसकी रोकथाम के लिये कोई मज़बूत वैधानिक व्यवस्था नहीं है।
- भारत में नागरिक सूचनाओं की चोरी, साइबर उत्पीड़न, फ्रॉड भुगतान, गैर-कानूनी लेन-देन और औद्योगिक जासूसी की घटनाएँ भी होती रहती हैं।
- इस दृष्टिकोण से भी ब्लॉकचेन तकनीक तब तक लाभकारी नहीं होगी, जब तक कि इसके लिये मज़बूत तकनीकी प्रतिरोधी व्यवस्था नहीं बना ली जाती।
- भारत में ब्लॉकचेन को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है और न ही कोई स्पष्ट विनियामक ढाँचा है।
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने इस वर्ष के बजट भाषण में ब्लॉकचेन तकनीक पर विचार करने के लिये एक समिति गठित करने की बात कही है।
विनियमन की आवश्यकता
ब्लॉकचेन तकनीक का सर्वोत्तम एवं सबसे बड़ा उदाहरण बिटकॉइन नेटवर्क है। लेकिन ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करने वाली बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा को रैनसमवेयर हमलों का सामना करना पड़ सकता है। अत: इसका विनियमन बड़ी सावधानी से करने की आवश्यकता है। भारत में इसे विनियमित करने के लिये फ़िलहाल कोई पहल नहीं की जा रही और वित्त मंत्री ने इस वर्ष के बजट में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो-करेंसियों को अवैध बताया, जिसमें कोई भी यदि निवेश करता है तो उसके लिये वह स्वयं उत्तरदायी होगा। विदित हो कि बिटकॉइन एक विशुद्ध इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा है, जिसका प्रयोग विनिमय में किया जाता है, लेकिन एकाध को छोड़कर इसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। बेशक बिटकॉइन को वैश्विक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन हाल के वर्षों में विश्व स्तर पर और साथ ही भारत में बिटकॉइन की मांग बढ़ी है।
(टीम दृष्टि इनपुट)
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निष्कर्ष: यह अपेक्षा की जा रही है कि बिचौलियों को हटाकर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी सभी प्रकार के लेन-देन की दक्षता में सुधार लाएगी तथा इससे सभी लेन-देनों की लागत में भी कमी आएगी। साथ ही इससे पारदर्शिता में भी वृद्धि होगी तथा फर्जी लेन-देनों से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि इसके अंतर्गत प्रत्येक लेन-देन को एक सार्वजानिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाएगा। आज साइबर सुरक्षा, बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर चिंताएँ सामने आ रही हैं तथा ऐसे में इन्हें सुरक्षित बनाने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग को लेकर स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान संदर्भों में ब्लॉकचेन एक गेमचेंजर साबित हो सकता है, बशर्ते इसके महत्त्व और क्षमताओं की पहचान समय रहते कर ली जाए।
‘ब्लॉकचेन’ प्रौद्योगिकी से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु
ब्लॉकचेन (blockchain) क्या है?
- ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिससे बिटकॉइन (bitcoins) नामक मुद्रा का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजानिक बही खाता’ (public ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन अथवा ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड दर्ज़ किया जाता है।
- ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
- विदित हो कि ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। वर्तमान में बैंकों में ग्राहकों और आपूर्त्तिकर्त्ताओं से सीधे जुड़कर ही लेन-देन किया जाता है।
- इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को खाता बही खाते में रिकॉर्ड किया जाता है। दरअसल, ब्लॉकचेन की तुलना वर्ष 1990 में इंटरनेट की स्थिति से भी की जा सकती है।
- ध्यातव्य है कि पिछले दो दशकों में ‘इंटरनेट सूचनाओं’ (Internet of Information) ने हमारे समाज में परिवर्तन कर दिया है। साथ ही अब हम ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ ब्लॉकचेन भी ‘इंटरनेट ऑफ ट्रस्ट’ (Internet of Trust) और ‘इंटरनेट ऑफ वैल्यू’ (Internet of Value’) के माध्यम से वही कार्य करने में सक्षम होगा।
इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?
- इस प्रौद्योगिकी की उत्पत्ति के संबंध में कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है, परन्तु ऐसा माना जाता है कि बिटकॉइन का आविष्कार करने वाले स्यूडोनिम सातोशी नाकामोटो (pseudonym Satoshi Nakamoto) नामक व्यक्ति द्वारा बनाए गए लोगों के एक समूह ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को समर्थन देने के लिये इस प्रौद्योगिकी की खोज की।
प्रौद्योगिकी का महत्त्व
- बिटकॉइन इस प्रौद्योगिकी का मात्र एक अनुप्रयोग है, जिसके उपयोग की जाँच अनेक उद्योगों में की जा रही है। भारत के बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में इसके प्रति बहुत आकर्षण देखने को मिल रहा है। वस्तुतः इन क्षेत्रों में कई लोग संघ का निर्माण कर रहे हैं, ताकि वे उद्योगों के स्तर पर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों से विश्व को अवगत करा सकें।
- उदाहरण के लिये, भारत में ‘बैंकचैन’ नामक एक संघ है जिसमें भारत के लगभग 27 बैंक (जिनमें भारतीय स्टेट बैंक और आई.सी.आई.सी.आई भी शामिल हैं) शामिल हैं और मध्य पूर्व के राष्ट्र इसके सदस्य हैं। यह संघ व्यवसायों को सुरक्षित और तेज़ बनाने के लिये ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों का व्यापक प्रसार कर रहा है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक की एक शाखा ‘इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी’ ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लिये एक आधुनिक प्लेटफॉर्म का विकास कर रही है।
इसके क्या लाभ हैं?
- ब्लॉकचेन के उपयोग के लाभ सभी लेन-देनों के लिये भिन्न-भिन्न होंगे। डेलॉइट और एसोचैम के अनुसार, ब्लॉकचेन उस समय अधिक लाभकारी सिद्ध होगा जब आँकड़े अधिक हों और उन्हें अनेक लोगों के बीच साझा करना हो तथा उन लोगों के मध्य विश्वास की भावना न हो।
- दरअसल, इस प्रौद्योगिकी से सबसे अधिक लाभ वित्तीय निवेशकों को होगा।
- विश्व आर्थिक फोरम द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, विश्व भर में 90 से अधिक केंद्रीय बैंक ब्लॉकचेन चर्चा में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त पिछले तीन वर्षों में इसके लिये 2,500 पेटेंट दर्ज़ किये गए हैं।
- 80% बैंकों ने वर्ष 2017के अंत तक ब्लॉकचेन की शुरुआत करने की भविष्यवाणी भी कर दी है। वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में यह नई प्रौद्योगिकी एक आशा की किरण बनकर उभरेगी।
- यहाँ तक कि गैर-बैंकिंग क्षेत्रों (जैसे-रिटेल, यात्रा, स्वास्थ्य देखभाल, टेलीकम्युनिकेशन और सार्वजानिक क्षेत्र के उद्योग) के लोग भी ब्लॉकचेन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले अवसरों पर ध्यान दे रहे हैं। ध्यान देने योग्य है कि यह प्रौद्योगिकी केवल ऐसे उद्योगों पर लागू होगी, जो विकेन्द्रित डाटा संग्रहण, डाटा अपरिवर्तनीयता और ब्लॉकचेन की वितरित स्वामित्व सुविधाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।
भारत की स्थिति
- एक उच्च स्तरीय समिति जिसमें वित्त, गृह और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के साथ ही सेबी, भारतीय रिज़र्व बैंक, स्टेट बैंक और नीति आयोग के अधिकारीगण मौजूद हैं, इस विषय पर विचार-विमर्श कर रही है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को बंद किया जाना चाहिये अथवा नहीं।
- हालाँकि अब तक हुए विचार-विमर्शों से इस बात की पुष्टि हुई है कि इस समिति ने ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की मंशा व्यक्त की है।
निष्कर्ष
यह अपेक्षा की जा रही है कि बिचौलियों को हटाकर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी किसी भी प्रकार के लेन-देन की दक्षता में सुधार लाएगी तथा इससे सभी लेन-देनों की लागत में भी कमी आएगी। इससे पारदर्शिता में भी वृद्धि होगी तथा फर्जी लेन-देनों से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि इसके अंतर्गत प्रत्येक लेन-देन को एक सार्वजानिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाएगा।
ब्लॉकचेन तकनीक के लाभ
- 26 Jul 2019
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
ब्लॉकचेन तकनीक प्राय: क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में समाचारों में बनी रहती है। वर्तमान में अनेक कंपनियाँ ब्लॉकचेन तकनीक के प्रयोग की संभावनाएँ तलाश कर रही हैं।
क्या है ब्लॉकचेन तकनीक?
- ज्ञातव्य है कि जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डेटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन नाम दिया गया है।
- ब्लॉकचेन तकनीक में तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल 'की' (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है।
- ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिससे बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टो-करेंसियों का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजनिक बही-खाता’ (Public Ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन का रिकॉर्ड दर्ज़ किया जाता है।
- ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
- ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है।
कैसे कार्य करती है ब्लॉकचेन तकनीक?
- ब्लॉकचेन में प्रत्येक ब्लॉक लेन-देन का विवरण रखता है और ब्लॉक की यह श्रृंखला उत्तरोतर लंबी होती जाती है।
- मुद्रा के संदर्भ में यह तकनीक लेन-देन के स्थान, समय और मूल्य को संग्रहीत कर लेती है जिसमे किसी प्रकार का परिवर्तन संभव नहीं होता।
- इसमें पहचान योग्य सूचनाएं न्यूनतम (Minimal Identifying Information) होती हैं और प्रत्येक ब्लॉक प्रयोगकर्त्ता के विशिष्ट डिजिटल हस्ताक्षर ( Unique Digital Signature ) से लिंक होता है।
- प्रत्येक ब्लॉक को एक विशिष्ट कोड के माध्यम से दूसरे से अलग किया जाता है और यह कोड संख्याओं की एक श्रृंखला होती है।
- ब्लॉकचेन तकनीक में लेनदेन के सत्यापन का कार्य एक ही नेटवर्क से जुड़े बहुत सारे कंप्यूटरों को दिया जाता है जिसमे प्रत्येक कंप्यूटर के पास किसी ब्लॉक की समान कॉपी होती है। ये कंप्यूटर गणितिये सूत्रों को हल कर लेनदेन की प्रमाणिकता की जाँच करतें हैं। इससे ब्लॉकचेन आधारित लेन-देन की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग
- वर्ष 2017 में हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू ( Harvard Business Review-HBR) की रिपोर्ट के अनुसार बैंक ऑफ़ अमेरिका, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज जैसे संस्थान व्यापार वित्त, विदेशी मुद्रा विनियमन, सीमापारीय भुगतान और प्रतिभूति भुगतान में पेपर व मानव आधारित लेन-देन को प्रतिस्थापित करने हेतु ब्लॉक तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं।
- Ethereum जैसे एप डाटा के विकेंद्रीकरण के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। यह एप उपयोगकर्त्ता को उसके डेटा पर नियंत्रण का अधिकार प्रदान करता है।
- तकनीक आधारित कंपनियां ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग कर रही है। हाल ही में फेसबुक ने अपनी क्रिप्टोकरेंसी लिब्रा जारी करने की घोषणा की।
अनचाही कॉल पर लगाम लगाने के लिये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
- 30 May 2018
- 5 min read
संदर्भअक्सर लोगों को अनचाहे टेलीफोन कॉल आते रहते हैं जो उन्हें क्रेडिट कार्ड खरीदने या नए घर में निवेश करने या व्यक्तिगत ऋण देने से संबंधित होते हैं। जल्दी ही ये अनचाही कॉल अतीत की बात हो सकती है। क्योंकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने ऐसी अनचाही कॉलों पर रोक लगाने और 2010 में लॉन्च की गई डू नॉट डिस्टर्ब (DND) सेवाओं को और अधिक मज़बूत बनाने के लिये ब्लॉकचेन समाधान का प्रस्ताव रखा है।नए नियामक से उपभोक्ता को क्या लाभ होंगे?- नए नियम के तहत किसी तीसरी पार्टी को कॉल करने से पहले उपभोक्ता की रिकॉर्ड की सहमति की आवश्यकता होगी।
- इसका तात्पर्य यह है कि पंजीकृत टेलीमार्केट उपभोक्ता को केवल तभी कॉल कर सकते हैं जब उपभोक्ता ने DND 2.0 सेवा ऐप, SMS या फोन कॉल के माध्यम से स्पष्ट सहमति दी हो।
- उपभोक्ता इस सहमति को किसी भी समय रद्द कर सकता है।
- चूँकि, यह नई तकनीक अधिक गतिशील है, इसलिये उपभोक्ता को DND सेवा सक्रिय करने के लिये अब सात दिनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
- नियामक मानदंडों का पालन किया जा रहा है कि नहीं, इसका पता लगाने के लिये ग्राहकों और व्यावसायिक संस्थाओं के बीच होने वाली सभी बातचीत की निगरानी की जाएगी।
- TRAI के अनुसार, 'ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी दो चीजें सुनिश्चित होंगी एक, केवल अधिकृत कंपनियां ही ग्राहकों का ब्यौरा प्राप्त कर सकेंगी और दूसरा यह ब्यौरा उन्हें तभी प्राप्त होगा जब उन्हें किसी ग्राहक को सेवा प्रदान करनी होगी।
ब्लॉकचेन तकनीक प्रयोग करने वाला पहला टेलीकॉम सेक्टर- TRAI ने दावा किया कि यह दुनिया का पहला दूरसंचार क्षेत्र है जो अनचाही कॉल को रोकने के लिये तकनीक का प्रयोग इस पैमाने पर कर रहा है।
क्या है ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी?- ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो एक सुरक्षित एवं आसानी से सुलभ नेटवर्क पर लेन-देन का एक विकेंद्रीकृत डाटाबेस तैयार करती है।
- लेन-देन के इस साझा रिकॉर्ड को नेटवर्क पर स्थित कोई भी व्यक्ति देख सकता है।
- वास्तव में ब्लॉकचेन डाटा ब्लॉकों की एक श्रृंखला होती है तथा प्रत्येक ब्लॉक में लेन-देन का एक समूह समाविष्ट होता है।
- ये ब्लॉक एक-दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े होते हैं तथा इन्हें कूट-लेखन के माध्यम से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम एवं सबसे बड़ा उदाहरण बिटकॉइन नेटवर्क है। यह तकनीक सुरक्षित है।
- इसे हैक करना मुश्किल होता है। साइबर अपराध और हैकिंग को रोकने के लिये यह तकनीक सुरक्षित मानी जाती है।
ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी तथा टेली मार्केटिंग- टेलीमार्केटिंग पर लागू होने पर, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी समय मोबाइल उपयोगकर्त्ता द्वारा किये गए सभी अनुरोधों को रिकॉर्ड करेगी, जिससे उन्हें तीसरे पक्ष की किसी भी अवांछित गतिविधि से बचाया जा सकेगा।
- यह मोबाइल उपयोगकर्त्ता द्वारा किसी भी कार्रवाई का डिजिटल संकेत निर्धारित करेगा तथा रिकॉर्ड को गैर-अस्वीकार्य बना देगा।
- यह उपयोगकर्त्ता के साथ-साथ टेलीमार्केट द्वारा की गई सभी 'ऑप्ट-इन या ऑप्ट-आउट' चॉइस का रिकॉर्ड सुरक्षित रखेगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)- यह भारत में दूरसंचार व्यवसाय का स्वतंत्र नियामक है।
- इसकी स्थापना दूरसंचार सेवाओं और टैरिफ को विनियमित करने के लिये संसद के एक अधिनियम द्वारा वर्ष 1997 में की गई थी।
- ट्राई एक सरकारी संस्था है जो देश में दूरसंचार के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के लिये नियामक अर्थात् उनके नियमन और देख-रेख का काम करती है।